जानिए धीरे से आ जा रे अखियन में लोरी का इतिहास, बोल, और क्यों यह 1950 के दशक की सबसे प्यारी हिंदी लोरी मानी जाती है। सुनें लता मंगेशकर की आवाज़ में यह अमर गीत।
🌙 धीरे से आ जा रे अखियन में लोरी – लता मंगेशकर की मधुर लोरी जो दिल को छू जाती है
✨ जब लोरी बनी थी सिनेमा का हीरा – Aalbela (1951) की कहानी
1951 में आई फिल्म Aalbela एक संगीतमय हिट फिल्म थी, जिसमें भगवान दादा और गीता बाली ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं। इस फिल्म में संगीत दिया था सी. रामचंद्र ने, और लोरी “धीरे से आ जा रे अखियन में” को आवाज़ दी थी स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने।
इस गीत ने उस दौर के हर घर में अपनी जगह बना ली थी। आज भी जब यह लोरी सुनाई देती है, तो nostalgia की एक लहर मन को छू जाती है।
🎼 लोरी के बोल – धीरे से आ जा रे अखियन में (Lyrics in Hindi)
धीरे से आ जा रे अखियन में
निंदिया आ जा रे
भीनी-भीनी बहे पुरवाई
सांझ सवेरेनींद की प्याली भर भर लाई
सपनों की गलियाँ महकाईं
धीरे से आ जा रे अखियन में
निंदिया आ जा रेमाँ की ममता की चादर तले
झूला झूले प्यारा बच्चा
बोल सुनाए मीठे सपने
चंदा मामा लोरी रच्चाधीरे से आ जा रे अखियन में
निंदिया आ जा रे
💖 लता मंगेशकर की आवाज़ में नींद का जादू
🌸 स्वर की देवी और बच्चों की लोरी
इस गीत की आत्मा लता मंगेशकर की कोमल आवाज़ है। उन्होंने जब इस गीत को गाया था, तो वह मात्र 20 के आस-पास थीं। उनकी मासूमियत और माधुर्य ने इस लोरी को हर माँ के दिल की धड़कन बना दिया।
🎧 आज भी YouTube और रेडियो पर लोकप्रिय
आज भी “धीरे से आ जा रे अखियन में” को लाखों लोग YouTube पर सुनते हैं। यह एक सदाबहार लोरी बन चुकी है जिसे कई माता-पिता अपने बच्चों को सुनाते हैं।
💤 इस लोरी की विशेषताएं जो इसे अमर बनाती हैं
विशेषता | विवरण |
---|---|
भावना | बच्चे के लिए माँ की ममता और सुरक्षा का भाव |
संगीत | सी. रामचंद्र का शांत, धीमा और मधुर संगीत |
बोल | आसान, काव्यात्मक और शांति देने वाले |
प्रभाव | बच्चों की नींद लाने में सहायता और माता-पिता के लिए भावनात्मक जुड़ाव |
🌜 लोरी सुनने के फायदे – विज्ञान और संस्कृति की दृष्टि से
1. मस्तिष्क की शांति
धीमी और कोमल धुनें बच्चे के मस्तिष्क में Alpha Waves को सक्रिय करती हैं, जो नींद लाने में मदद करती हैं।
2. सुनने और बोलने की शक्ति में सुधार
लोरी सुनना बच्चों में भाषा की समझ और श्रवण क्षमता को विकसित करता है।
3. माता-पिता और बच्चे का भावनात्मक जुड़ाव
जब माँ या पिता बच्चों को लोरी सुनाते हैं, तो यह एक emotional bonding moment बन जाता है।
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🎙️ Aalbela (1951) और हिंदी सिनेमा में लोरी का स्थान
“धीरे से आ जा रे अखियन में” केवल एक गीत नहीं था, यह एक युग की लोरी बन गई। इस लोरी ने यह सिद्ध किया कि हिंदी सिनेमा में भावनात्मकता और संगीत का मेल बच्चों के लिए भी अद्भुत हो सकता है।
फिल्म Aalbela के अन्य गीतों ने भी लोकप्रियता पाई, लेकिन यह लोरी एक भावनात्मक क्लासिक के रूप में आज भी जानी जाती है।
📜 क्या यह लोरी कॉपीराइट मुक्त है?
1951 की यह लोरी अपने मूल रूप में अब सार्वजनिक डोमेन (Public Domain) की श्रेणी में मानी जाती है, विशेषकर यदि इसके मूल संगीत और गीत का उपयोग किया जाए। हालांकि, किसी नई धुन, रीमिक्स या गायक की आवाज़ वाले वर्शन के लिए अनुमति आवश्यक हो सकती है।
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लोरी का नाम | गायक/फिल्म |
---|---|
चंदा मामा दूर के | पारंपरिक |
लल्ला लोरी दूध की कटोरी | लोकगीत |
निंदिया आई रे | फिल्मी |
क्यों “धीरे से आ जा रे अखियन में” आज भी एक परफेक्ट लोरी है?
- यह लोरी शब्दों, भावनाओं और संगीत का एक सुंदर संगम है।
- लता मंगेशकर की आवाज़ इसे कालातीत (timeless) बना देती है।
- यह न केवल एक बच्चा सुलाने का गीत है, बल्कि हर पीढ़ी की यादों का हिस्सा बन चुकी है।
📌 FAQs – आपके सवालों के जवाब
Q1. “धीरे से आ जा रे अखियन में” किस फिल्म से है?
A1. यह लोरी 1951 की सुपरहिट फिल्म Aalbela से है।
Q2. क्या इस लोरी को आज भी बच्चों के लिए उपयोग किया जा सकता है?
A2. हाँ, यह बच्चों को सुलाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली लोरी है।
Q3. क्या इसे YouTube पर सुना जा सकता है?
A3. हाँ, यह YouTube पर कई versions में उपलब्ध है।