लोमड़ी और घोड़े की कहानी | लोमड़ी को सबक देने वाला घोड़ा – नैतिक कहानी हिंदी में | Moral Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है। एक हरे-भरे जंगल में एक घोड़ा और एक लोमड़ी रहते थे। घोड़ा मेहनती और समझदार था, जबकि लोमड़ी बहुत चालाक और स्वार्थी।
लोमड़ी हमेशा दूसरों को बेवकूफ बनाकर अपना काम निकालती थी। एक दिन उसकी नज़र घोड़े पर पड़ी। उसने सोचा,
“अगर मैं इसे अपने काम में लगा दूँ, तो आराम से फल और खाना मिल जाएगा।”
वह घोड़े के पास गई और बोली,
“घोड़े भैया, जंगल के पास एक खेत है जहाँ बहुत स्वादिष्ट फल हैं। अगर तुम मेरी मदद कर दो, तो हम दोनों मिलकर भरपेट खा सकते हैं।”
घोड़ा पहले तो समझ नहीं पाया, लेकिन फिर उसने धीरे-धीरे लोमड़ी की चालाकी को पहचान लिया। वह बोला,
“ठीक है, तुम मेरे पीछे बैठ जाओ, मैं तुम्हें उस खेत तक ले चलता हूँ।”
घोड़े ने लोमड़ी को अपनी पीठ पर बैठा लिया और तेज़ी से दौड़ने लगा। वह उसे जंगल के सबसे गहरे हिस्से में ले गया, जहाँ कीचड़ और काँटों से भरा एक दलदल था।
फिर उसने अपनी पीठ झटका और लोमड़ी को जमीन पर गिरा दिया।
लोमड़ी चिल्लाई, “यह क्या किया?”
घोड़ा बोला,
“तुमने बहुत जानवरों को धोखा दिया, आज तुम्हें तुम्हारी चालाकी का असली मजा मिल गया।”
लोमड़ी की चालाकी उस दिन उसी पर भारी पड़ गई।
🧠 सीख (Moral of the Story):
जो दूसरों को धोखा देते हैं, एक दिन वे खुद ही धोखा खा जाते हैं। समझदारी और सच्चाई से ही सफलता मिलती है।
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