जब लोमड़ी ने मूर्ख हिरण को मूर्ख बनाया
एक बार की बात है, एक हरा-भरा जंगल था। वहाँ पर एक सुंदर लेकिन मूर्ख हिरण रहता था। वह अपनी चाल और रूप पर बहुत घमंड करता था और अक्सर जंगल के अन्य जानवरों को ताना देता था।
एक दिन, जंगल में एक तेज गर्मी पड़ रही थी। सभी जानवर छांव में बैठे थे, लेकिन हिरण अपनी मूर्खता के कारण इधर-उधर उछल रहा था।
तभी वहाँ एक चालाक लोमड़ी आई। उसने सोचा, “यह हिरण बहुत घमंडी और बेवकूफ है, क्यों न इसे सबक सिखाया जाए।”
लोमड़ी बोली,
“हिरण भाई! क्या तुम जानते हो कि समंदर के दूसरी ओर एक जादुई द्वीप है? वहाँ सिर्फ वही पहुँच सकता है जो सबसे सुंदर और तेज़ हो!”
हिरण को यह सुनकर अहंकार आ गया। उसने कहा,
“मैं तो सबसे सुंदर और तेज़ हूँ! मुझे वहीं जाना चाहिए!”
लोमड़ी मुस्कराते हुए बोली,
“तो फिर जाओ, बस समुद्र में कूदो और तैरते हुए सीधे उस द्वीप तक पहुँच जाओ!”
हिरण ने बिना सोचे-समझे समंदर में छलांग लगा दी। कुछ दूर जाते ही उसे गहराई और लहरों का अंदाजा हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
हिरण समुद्र की लहरों में डूब गया। लोमड़ी दूर से देखकर बोली,
“मूर्खता और घमंड का यही अंजाम होता है!”
🧠 सीख (Moral of the Story):
जो बिना सोचे-समझे किसी की बातों में आ जाते हैं, उनका अंत दुखद होता है। समझदारी और विवेक ही जीवन का असली रक्षक है।
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