तेनालीराम की कहानियाँ: ब्राह्मण किसकी पूजा करे | Tenaaleeraam kee kahaaniyaan: braahman kisakee pooja kare
एक बार की बात है, तेनालीराम अपने मित्रों के साथ एक गाँव में जा रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि गाँव के एक ब्राह्मण जी बड़े परेशान बैठे हैं। तेनालीराम ने पूछा, “भाई ब्राह्मण जी, आप इतने दुखी क्यों हैं?”
ब्राह्मण जी ने बताया, “अरे तेनाली, मैं सोच रहा हूँ कि मुझे किसकी पूजा करनी चाहिए? मेरे सामने तो भगवानों की एक लंबी सूची है। कभी विष्णु जी, कभी शिव जी, कभी दुर्गा जी!”
तेनालीराम हँसकर बोले, “तो फिर आप क्यों परेशान हैं? पूजा तो आप किसी भी भगवान की कर सकते हैं!”
ब्राह्मण जी ने कहा, “समझ नहीं आ रहा, आज किसकी पूजा करूँ? अगर मैंने भगवान शिव की पूजा की और विष्णु जी नाराज हो गए, तो क्या होगा?”
तेनालीराम ने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा, “क्यों न यह तय करें कि आप कुत्तों की पूजा करें? क्योंकि कुत्ते तो सबको भाले रहते हैं!”
ब्राह्मण जी चौंक गए, “कुत्तों की पूजा? क्या आप सच में ऐसा सोचते हैं?”
“बिल्कुल!” कहा तेनालीराम ने। “कुत्ते घर की रक्षा करते हैं, और वे किसी से भी नाराज़ नहीं होते। और अगर आपको भोग चढ़ाना हो, तो आपकी बची हुई रोटियाँ तो हमेशा तैयार हैं!”
ब्राह्मण जी ने सोचा, “यह तो एक अच्छा आइडिया है!” और उन्होंने अगली सुबह कुत्तों की पूजा करने का निश्चय किया। उन्होंने सजे हुए थाल में रोटियाँ रखीं और कुछ फूल भी चढ़ा दिए।
गाँव के सभी लोग यह देख कर हैरान रह गए। छुट्टियों में वे सब तेनालीराम से इस विचित्र पूजा के बारे में पूछने आए। तेनालीराम ने पूरे उत्साह से बताया, “ये ब्राह्मण जी कुत्तों की पूजा कर रहे हैं ताकि आस-पास के सभी देवता खुश रहें!”
ब्राह्मण जी ने जब यह सुना तो मुस्कुराते हुए कहा, “अगर कुत्तों से देवताओं को प्रसन्न किया जा सकता है, तो क्यों नहीं?”
हसी-मजाक का सिलसिला चलता रहा, और गाँव में हर कोई ‘कुत्तों की पूजा’ करने लगा। कुछ दिन बाद, गाँव में एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई—कुत्तों की संख्या अचानक बढ़ गई! हर कोई अपनी बची हुई रोटियाँ कुत्तों को देने लगा था, जिससे वे बहुत खुश हो गए थे।
अंत में, गाँव के लोग हर तरफ कुत्तों का शोर सुनकर तेनालीराम के पास आए। बोले, “तेनाली, अब हमें किसी और देवता की पूजा करनी चाहिए। अब तो हम कुत्तों के गाँव में बदल गए हैं!”
तेनालीराम हँसते हुए बोले, “चलो, अब हम सब मिलकर गायों की पूजा करें। वे भी अच्छे हैं और दूध देती हैं!”
ब्राह्मण जी भी मुस्कुराए और समझ गए कि पूजा किसी की भी की जाए, हंसी-मजाक और मित्रता की अपनी एक अलग ही पूजा है।
उस दिन से गाँव में सबने मिलकर यह ठान लिया कि पूजा करने में हमेशा मजेदार तरीके से सोचना चाहिए, और हंसी-मज़ाक जीवन का सबसे बड़ा उत्सव है!
Tenaliram Stories: Whom should a Brahmin worship
Once upon a time, Tenaliram was going to a village with his friends. Then he saw that a Brahmin of the village was sitting very upset. Tenaliram asked, “Brother Brahmin, why are you so sad?”
The Brahmin said, “Hey Tenali, I am thinking whom should I worship? I have a long list of Gods in front of me. Sometimes Vishnu Ji, sometimes Shiva Ji, sometimes Durga Ji!”
Tenaliram laughed and said, “Then why are you upset? You can worship any God!”
The Brahmin said, “I am not able to understand, whom should I worship today? If I worship Lord Shiva and Vishnu Ji gets angry, what will happen?”
Tenaliram said with a mischievous smile, “Why don’t you decide that you worship dogs? Because dogs are everyone’s darling!”
The Brahmin was shocked, “Worshipping dogs? Do you really think so?”
“Absolutely!” said Tenali Raman. “Dogs protect the house, and they never get angry with anyone. And if you want to offer bhog, your leftover rotis are always ready!”
The Brahmin thought, “This is a good idea!” and decided to worship the dogs the next morning. He placed the rotis on a decorated thaali and offered some flowers.
Everyone in the village was surprised to see this. During the holidays, they all came to ask Tenali Raman about this strange worship. Tenali Raman told him enthusiastically, “This Brahmin is worshipping dogs so that all the gods around remain happy!”
When the Brahmin heard this, he smiled and said, “If gods can be pleased with dogs, why not?”
The fun and frolic continued, and everyone in the village started ‘worshipping dogs’. After a few days, a big problem arose in the village—the number of dogs suddenly increased! Everyone started giving their leftover rotis to the dogs, which made them very happy.
Finally, the villagers came to Tenali Raman after hearing the noise of dogs all around. They said, “Tenali, now we should worship some other god. Now we have turned into a village of dogs!”
Tenali Raman laughed and said, “Come, now let us all worship the cows together. They are also good and give milk!”
The Brahmin also smiled and understood that no matter who is worshipped, fun and frolic have their own unique worship.
From that day on, everyone in the village decided that one should always think in a fun way while worshipping, and fun and frolic is the biggest celebration of life!