होली की कथा In Hindi | Holi Mata Ki Kahani In Hindi
बहुत समय पहले, हिरण्यकश्यप नाम के एक राक्षस ने भगवान ब्रह्मा को अमरता का वरदान देने के लिए तपस्या की थी। जब ब्रह्म देव ने उन्हें हमेशा जीवित रहने की इच्छा नहीं दी, तो उन्होंने पूछा कि कोई भी जीवित प्राणी, पशु, दानव, देवी, देवता या व्यक्ति उन्हें मार नहीं सके। दिन या रात में नहीं मरा जासके । ना जमीन पर ना आकाश में ना घर में या ना बाहर न ही किसी हथियार से मरा जा सके ।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भगवान ब्रह्मा हिरण्यकश्यप की तपस्या से प्रसन्न थे, इसलिए उन्होंने उसे केवल हमेशा जीवित रहने की एक इच्छा देने के बजाय, उसे ये सब दिया। जब उन्हें ये वरदान मिला तो उसने हर जगह आक्रमण करना शुरू कर दिया। उसने न केवल लोगों को परेशान करना शुरू किया, बल्कि उसने देवताओं को भी परेशान करना शुरू कर दिया। उसने अपनी शक्ति का उपयोग कमजोरों को चोट पहुँचाने के लिए किया।
उससे दूर रहने के लिए लोगों को हिरण्यकश्यप की पूजा करनी पड़ती थी। यदि कोई भगवान के स्थान पर हिरण्यकश्यप की पूजा करता तो वह उन्हें छोड़ देता और यदि वे उसे भगवान नहीं मानते तो उन्हें मार दिया जाता या किसी अन्य प्रकार से दण्डित किया जाता।
समय के साथ राक्षस हिरण्यकश्यप का भय बढ़ता गया। कुछ समय बाद भगवान विष्णु के सबसे बड़े अनुयायी प्रहलाद का जन्म हिरण्यकश्यप के घर हुआ। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से कई बार कहा कि वह भगवान विष्णु की पूजा नहीं कर सकता। “मैं भगवान हूँ,तो तुम मेरी पूजा करो।
हर बार जब प्रह्लाद हिरण्यकश्यप को सुनता था, तो वह कहता था, “मेरा केवल एक भगवान है, और उसका नाम भगवान विष्णु है। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद की बात सुनकर उसे मारने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह नहीं कर सका। हर बार हिरण्यकश्यप ने कुछ करने की कोशिश की और भगवान विष्णु ने उसे रोकने के लिए अपनी शक्ति का इस्तेमाल किया।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका एक दिन उससे मिलने आई। होलिका को दहन न कर पाने का वरदान प्राप्त था। उसके पास एक कंबल था, जिसे लपेटकर यदि वह आग में चली जाए, तो आग उसे नहीं जला सकती थी। होलिका ने हिरण्यकशिपु से कहा, “भाई, मैं प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठूंगी। इससे वह जल जाएगा, और तुम्हारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।”
हिरण्यकश्यप को यह योजना ठीक लगी थी। इसके बाद होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग के सामने बैठ गई। उसी समय भगवान की कृपा से होलिका का कंबल प्रह्लाद पर गिर गया और होलिका जलकर राख हो गई। भगवान विष्णु की कृपा ने एक बार फिर प्रह्लाद को बचा लिया।
होलिका दहन वह दिन है जिस दिन होलिका जलकर भस्म हो गई थी जिसे लोग आज तक लोग होलिका दहन के नाम से जानते हैं। जब होलिका आग में जलकर राख हो गई थी। होलिका दहन के अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है ताकि यह दिखाया जा सके कि बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।
कहानी से सीखें
बुराई कितनी भी मजबूत क्यों न हो, अंत में हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है। इसलिए लोगों को हमेशा बुराई के रास्ते से हटकर अच्छाई का रास्ता चुनना चाहिए।
होली की कथा In English | Holi Mata Ki Kahani In English
Long time ago, a demon named Hiranyakashyap did penance to grant the boon of immortality to Lord Brahma. When Brahma Dev did not grant him his wish to live forever, he asked that no living creature, animal, demon, goddess, god or person could kill him. Can’t die in day or night. Neither on the ground nor in the sky, nor in the house, nor outside, nor can be killed by any weapon.
Lord Brahma was pleased with Hiranyakashipu’s penance, so instead of giving him only one wish to live forever, he granted him all this. When he got this boon, he started attacking everywhere. Not only did he start troubling the people, but he started troubling the gods as well. He used his power to hurt the weak.
To stay away from him, people had to worship Hiranyakashyap. If anyone worshiped Hiranyakashipu instead of the Lord, he would spare them and if they did not accept him as a Lord, they would be killed or punished in some other way.
With time the fear of demon Hiranyakashyap increased. After some time Prahlad, the biggest follower of Lord Vishnu was born in the house of Hiranyakashyap. Hiranyakashyap told Prahlad many times that he could not worship Lord Vishnu. “I am God, so worship me.
जितिया की व्रत कथा | Jitiya Ki Vrat Katha In Hindi
Every time Prahlad listened to Hiranyakashipu, he used to say, “I have only one God, and his name is Lord Vishnu.” Hiranyakashipu tried many times to kill Prahlad after listening to him, but he could not. Hiranyakashipu tried to do something and Lord Vishnu used his power to stop him.
Hiranyakashyap’s sister Holika came to meet him one day. Holika had the boon of not being able to burn. She had a blanket, wrapped in which if she went into the fire, the fire could not burn her. Holika said to Hiranyakashipu, “Brother, I will sit in the fire with Prahlad in my lap. This will burn him, and your problems will end.”
Hiranyakashipu liked this plan. After this Holika sat in front of the fire taking Prahlad in her lap. At the same time, by the grace of God, Holika’s blanket fell on Prahlad and Holika was burnt to ashes. Lord Vishnu’s grace once again saved Prahlad.
Holika Dahan is the day on which Holika was burnt to ashes, which people till today know by the name of Holika Dahan. When Holika was burnt to ashes in the fire. The day after Holika Dahan, Holi is played with colors to show that good has triumphed over evil.
Moral from the story
No matter how strong evil is, good always wins in the end. That’s why people should always choose the path of good by moving away from the path of evil.