हरे घोड़े की कहानी in Hindi | Green Horse Story in Hindi
एक रात बादशाह अकबर और उनका प्रिय बीरबल शाही बगीचे में घूमने गए। बगीचा बहुत अच्छा था। हर तरफ पेड़-पौधे थे और भीगे हुए फूलों की महक ने इस नजारे को और भी खूबसूरत बना दिया था।
राजा ने कुछ सोचा और बीरबल से कहा, “बीरबल! हम इस हरे भरे बगीचे के चारों ओर एक हरे घोड़े की सवारी करना चाहते हैं। इसलिए मैं आपको सात दिनों में हरा घोड़ा खोजने के लिए वक़्त दे रहा हूं। अगर ऐसा नहीं करते जो मैं कहता हूँ, तुम फिर कभी मेरे पास मत आना।
राजा और बीरबल दोनों जानते थे कि उस समय तक दुनिया में कभी कोई हरा घोड़ा नहीं था। फिर भी, राजा चाहते थे कि बीरबल स्वीकार करें कि वह किसी तरह हार गए हैं। इसलिए उन्होंने बीरबल को ऐसा आदेश दिया। हालाँकि बीरबल भी बहुत होशियार थे। वह अच्छी तरह जानता था कि राजा उससे क्या चाहता है। अत: वह भी सात दिन तक इधर-उधर घूमता रहा, यह कहकर कि वह घोड़े की तलाश कर रहा है।
आठवें दिन बीरबल ने दरबार में जाकर राजा से कहा, “महाराज! आपके कहे अनुसार मैंने आपके लिए हरे रंग का घोड़ा खड़ा किया है। लेकिन जिसके पास है उसके दो शर्तें हैं।
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राजा को दोनों शर्तें में दिलचस्पी थी, इसलिए उसने उनके बारे में पूछा। तब बीरबल ने कहा, “पहली शर्त यह है कि आपको उस हरे घोड़े को स्वयं लाना होगा।” राजा ऐसा करने को तैयार था।
फिर उन्होंने पूछा कि दूसरी शर्त क्या है। तब बीरबल ने कहा, “घोड़े का मालिक दूसरी बात यह चाहता है कि आप सप्ताह के सातों दिनों के अलावा किसी अन्य दिन घोड़े को लाने के लिए जाना होगा ।”
जब राजा ने यह सुना तो उसने आश्चर्य से बीरबल की ओर देखा। तब बीरबल ने झट से उत्तर दिया, “महाराज! घोड़े के मालिक का कहना है कि हरा घोड़ा लाने के लिए उसे इन विशेष नियमों को मानना होगा।
बीरबल की चतुर बातें सुनकर बादशाह अकबर खुश हुए और मान गए कि बीरबल को हार मानवाना मुश्किल होगा।
हम ” हरे घोड़े की कहानी” से क्या सीख सकते हैं
इस कहानी से हमें पता चलता है कि अगर हम किसी काम को करना जानते हैं, चाहे वह असंभव ही क्यों न लगता हो, तो हम उसे आसानी से कर सकते हैं यदि हम उसे सूझबूझ और समझदारी के साथ करना जानते हैं।
हरे घोड़े की कहानी in English | Green Horse Story in English
One night Emperor Akbar and his beloved Birbal went for a walk in the royal garden. The garden was very nice. There were trees and plants everywhere and the smell of the soaked flowers made the scene even more beautiful.
The king thought for a while and said to Birbal, “Birbal! We want to ride a green horse around this lush green garden. That’s why I am giving you seven days to find a green horse. If you don’t do that, I say, don’t you ever come near me again.
Both the king and Birbal knew that till that time there had never been a green horse in the world. Still, the king wanted Birbal to accept that he had somehow lost. That’s why he gave such an order to Birbal. Although Birbal was also very smart. He knew very well what the king wanted from him. So he also wandered here and there for seven days, saying that he was looking for a horse.
On the eighth day, Birbal went to the court and said to the king, “Your Majesty! As you said, I have got a green horse for you. But the one who has it has two conditions.
The king was interested in both terms, so he asked about them. Then Birbal said, “The first condition is that you must bring that green horse yourself.” The king was ready to do so.
Then he asked what is the second condition. Then Birbal said, “The second thing the owner of the horse wants is that you must go to fetch the horse on any day other than the seven days of the week.”
When the king heard this, he looked at Birbal with surprise. Then Birbal quickly replied, “Your Majesty! The owner of the horse says that in order to get a green horse, he has to follow these special rules.
Emperor Akbar was happy to hear Birbal’s clever words and agreed that it would be difficult to make Birbal lose.
What We Can Learn From “The Green Horse Story”
This story tells us that if we know how to do something, even if it seems impossible, we can do it easily if we know how to do it wisely and wisely.