पढ़ें नन्ही कली सोने चली लोरी के पूरे बोल, जानें इस गीत का इतिहास, मातृत्व से जुड़ी भावनाएं और क्यों यह 1950s की सबसे प्यारी फिल्मी लोरी मानी जाती है।
🌙 “नन्ही कली सोने चली” – माँ की ममता में डूबी एक अमर हिंदी लोरी
💖 जब गीत बना ममता की आवाज़ – नन्ही कली सोने चली
“नन्ही कली सोने चली” एक ऐसा गीत है जो केवल एक लोरी नहीं बल्कि माँ की ममता, प्रेम और स्नेह की भावनात्मक अभिव्यक्ति है। यह गीत 1959 में आई फिल्म Sujata का हिस्सा है, जिसे बिमल रॉय ने निर्देशित किया था और गीत को आवाज़ दी थी Geeta Dutt ने।
गीतकार मजरोह सुल्तानपुरी के शब्द और संगीतकार एस. डी. बर्मन की मधुर रचना इसे एक अमर लोरी में बदल देती है।
🎼 नन्ही कली सोने चली – लोरी के पूरे बोल (Lyrics in Hindi)
नन्ही कली सोने चली, हवा धीरे आना
निंदिया की परियाँ उसे, सपनों में ले जानासांझ के साए, चुपके से आए
नींद भरी पलकें, बोझिल सी छाए
माँ की ममता की बाँहों में पलना
चाँदनी रातों में नूर सा छलनानन्ही कली सोने चली, हवा धीरे आना
निंदिया की परियाँ उसे, सपनों में ले जाना
🌺 Geeta Dutt की आवाज़ में बसी माँ की ममता
🎙️ लोरी जो हर दिल को छू जाती है
गीता दत्त की आवाज़ में यह लोरी हर उस माँ के जज़्बात को बयां करती है, जो अपने बच्चे को सुलाते समय माँ बनने का अनुभव जीती है। उनकी आवाज़ में ऐसा करुण माधुर्य है जो सीधे दिल को छू जाता है।
📻 आज भी रेडियो और YouTube पर अमर
यह लोरी समय के साथ और भी लोकप्रिय होती चली गई। आज भी इसे रेडियो, स्कूल प्रोग्राम्स और यूट्यूब जैसे डिजिटल माध्यमों पर लाखों लोग सुनते हैं।
🎬 Sujata (1959): फिल्म की पृष्ठभूमि और लोरी का महत्व
फिल्म Sujata एक सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्म थी, जिसमें दलित पात्र सुजाता की कहानी को बड़े ही भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया। लेकिन इस गहन विषय के बीच यह लोरी एक शांत और कोमल भाव लेकर आती है।
गीत फिल्म में उस सीन में आता है, जब माँ सुजाता को सुला रही होती है — यह सीन और यह लोरी दर्शकों की आँखों में आँसू और सुकून दोनों लेकर आता है।
🌟 इस लोरी को बनाते हैं खास – भाव, धुन और शब्द
गुण | विवरण |
---|---|
भावना | माँ की ममता, स्नेह, और प्यार |
संगीत | S. D. Burman का शांत और कोमल मेलोडी |
बोल | सरल, काव्यात्मक और नींद लाने वाले |
प्रभाव | बच्चों की नींद को सहज बनाने वाला गीत |
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💤 लोरी सुनाने के फायदे – क्यों सुनाएं बच्चों को “नन्ही कली सोने चली”?
1. भावनात्मक जुड़ाव
यह लोरी माँ और बच्चे के बीच का भावनात्मक संबंध गहरा करती है। बच्चे माँ की आवाज़ को पहचानते हैं और सुरक्षित महसूस करते हैं।
2. बेहतर नींद
धीमी धुन और कोमल स्वर बच्चों के मस्तिष्क को शांत करते हैं, जिससे उन्हें गहरी नींद आती है।
3. भाषा और संगीत की समझ
लोरी बच्चों में भाषा, लय और श्रवण क्षमता को बढ़ाने में सहायक होती है।
📜 Copyright Note: क्या यह गीत कॉपीराइट फ्री है?
फिल्मी गीतों की मूल रिकॉर्डिंग आमतौर पर कॉपीराइट में रहती है, लेकिन इसके बोल और सार को लेखन रूप में उपयोग करना, विशेषकर जब वह व्याख्या या शैक्षिक संदर्भ में हो, वह कानूनी रूप से मान्य होता है।
🔗 Read more Lori
- धीरे से आ जा रे अखियन में – लता मंगेशकर की अमर लोरी
- सो जा राजकुमारी सो जा – 1940 की पहली फिल्मी लोरी
- नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए – बच्चों का प्रिय गीत
📚 अन्य कालजयी फिल्मी लोरियाँ जो दिल को छू जाती हैं
लोरी का नाम | गायक | फिल्म |
---|---|---|
सो जा राजकुमारी | के. एल. सहगल | ज़िंदगी (1940) |
धीरे से आ जा रे | लता मंगेशकर | Aalbela (1951) |
चंदा मामा दूर के | पारंपरिक | N/A |
🎨 एक भावनात्मक गीत जो कई पीढ़ियों से जुड़ा है
“नन्ही कली सोने चली” एक ऐसा गीत है जिसे तीन पीढ़ियों ने सुना, जिया और अपनाया है। चाहे 1950 का समय हो या आज का डिजिटल युग — यह लोरी वक्त की सीमाओं को पार करती है।
क्यों यह लोरी बच्चों के लिए आदर्श है?
- भावनात्मक गहराई से परिपूर्ण
- मधुर और कोमल संगीत
- नींद लाने में सहायक
- सांस्कृतिक और पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ाती है
FAQs – आपके सवाल, हमारे जवाब ❓
Q1. “नन्ही कली सोने चली” किस फिल्म से है?
Ans: यह गीत 1959 की फिल्म Sujata से है।
Q2. गीता दत्त की यह लोरी आज भी कितनी लोकप्रिय है?
Ans: यह आज भी यूट्यूब और रेडियो पर बहुत सुनी जाती है, खासकर बच्चों को सुलाने के लिए।
Q3. क्या यह गीत बच्चों के लिए सुरक्षित है?
Ans: हाँ, इसमें कोई आपत्तिजनक शब्द नहीं हैं और यह बच्चों की नींद को बेहतर बनाने में सहायक है।