किसी जमाने में विक्रमगढ़ नाम का एक राज्य था, जो अपनी सुंदरता और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध था। इस राज्य के राजा का नाम महाराज वीरेंद्र था। महाराज वीरेंद्र की दो रानियां थीं — बड़ी रानी, जिनका नाम सुषमा था, और छोटी रानी, जिनका नाम अनन्या था। जहां बड़ी रानी सुषमा का रूप सामान्य था, वहीं छोटी रानी अनन्या अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थी। उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी, और उसकी मुस्कान में जादू था, जिससे हर कोई मोहित हो जाता था।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!महाराज वीरेंद्र ने अनन्या के प्रति विशेष स्नेह रखा था। वह हमेशा अनन्या की इच्छाओं का ध्यान रखते थे, जबकि सुषमा को अक्सर नजरअंदाज किया जाता था। इस बुरे व्यवहार के कारण सुषमा को गहरा दुख हुआ। एक दिन, उसने अनन्या से बुरी तरह नाराज होकर महाराज से शिकायत की। सुषमा की न्यायप्रियता और धैर्य की उपेक्षा करके, महाराज वीरेंद्र ने एक बार फिर अनन्या का पक्ष लिया। इससे सुषमा को और भी दुख हुआ और वह महल छोड़ने का निर्णय ले लिया।
सुषमा महल से निकलकर जंगल की ओर बढ़ने लगी। रास्ते में एक खूबसूरत नदी थी, जिसके किनारे पर एक अनार का पेड़ था। थकावट और दुख के मारे वह उसी पेड़ के नीचे बैठ गई। उसके आँसू गिरने लगे, और उसकी पीड़ा से वातावरण में गमगीन सा माहौल बन गया।
तभी अचानक वहां एक नन्ही परी प्रकट हुई। उसकी चमकदार पंखों से जगह रोशन हो गई और उसकी मुस्कान ने सुषमा की उदासी को थोड़ी देर के लिए भुला दिया। नन्ही परी ने रानी से पूछा, “क्यों रो रही हो, प्रिय रानी?”
सुषमा ने अपनी कहानी बताई — अपनी उपेक्षित स्थिति और अपनी दुखदायी भावनाओं को नन्ही परी के सामने रख दिया। उसे सुनकर नन्ही परी ने कहा, “ओ रानी, मैं तुम्हारी पीड़ा समझती हूं। तुम्हें नये जीवन के अवसर की आवश्यकता है। इस नदी में तीन बार डुबकी लगाकर स्नान करो और फिर इस अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ लेना। तुम देखोगी कि इस प्रक्रिया से तुम और भी रूपवान हो जाओगी। लेकिन याद रखना, जो मैंने कहा है, बस वही करना। न इससे ज्यादा और न ही कम।”
यह कहकर नन्ही परी अचानक गायब हो गई। सुषमा ने परी की बातों पर विश्वास किया और नदी के पानी में गई। उसने तीन बार डुबकी लगाई और फिर अनार के पेड़ से एक अनार तोड़ा। अनार को अपने चेहरे पर रगड़ते ही रानी का तेज बढ़ गया। वह पहले से कहीं ज्यादा सुंदर हो गई। लेकिन पास ही खड़ा एक शिकारी इस दृश्य को देख रहा था। उसने रानी के सौंदर्य पर मोहित होकर उसके पास जाने का निर्णय लिया।
शिकारी ने सुषमा से कहा, “आप तो एक सपने जैसी सुंदर हैं! क्या मैं आपको अपने साथ जंगल में ले जाऊं?” सुषमा ने तुरंत उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया और अपनी पहचान छिपाकर वहां से भाग गई। वह जानती थी कि उसकी सुंदरता अब उसे नई समस्याओं में डाल सकती है।
वापस महल जाने का निर्णय लेते हुए सुषमा ने सोचा कि अब वह अनन्या को उसकी गलती का एहसास करवा सकती है। महल लौटकर, सुषमा ने अनन्या को अपनी नई जगह बताई। अनन्या ने बड़ी आश्चर्य से अपनी सास के नए रूप को देखा और सोचने लगी कि कैसे उसकी मां इतनी सुंदर हो गई।
विपरीत परिस्थितियों में, अनन्या और सुषमा के बीच ठनी और एक नया खेल शुरू हुआ। अनन्या ने खुद को सुंदरता के रास्ते पर उतारने के लिए निरंतर कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अंततः, उसने नन्ही परी से मिलने की ठानी। जब अनन्या उस पेड़ के नीचे गई, तो वहां नन्ही परी उसे मीठे स्वर में बोली, “सिर्फ बाह्य सुंदरता महत्वपूर्ण नहीं है, तुम्हें बीती यादों को भुलाकर अपनी सच्ची पहचान खोजने की जरूरत है।”
अनन्या ने अपनी औकात और अपनी माँ से सीखी हुई बातों पर ध्यान देना शुरू किया। उसने समझा कि सच्ची सुंदरता उसी में है जब आप दिल से अच्छे होते हैं। उसने अपने मन में नकारात्मकता को स्थान नहीं दिया और कुछ ही समय में रानी सुषमा और अनन्या की आपसी संबंध में प्यार बढ़ने लगा।
इस प्रकार, दोनों रानियों ने अपने भूतकाल से सीखा और अपने दिलों में एक दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम विकसित किया। महाराज वीरेंद्र ने भी अपनी चुनौतियों को समझा और रानियों के बीच की दूरी को खत्म करने की कोशिश की।
राज्य के लोगों ने भी देखा कि सच्ची सुंदरता और प्रेम बाहरी रूप से नहीं, बल्कि आंतरिक सोच और भावनाओं के सच्चे उत्साह से आती है। विक्रमगढ़ राज्य में खुशियों का नया अध्याय चलने लगा, जहां सब एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम का भाव रखते थे।
यह कहानी हमें यह सिखाती है कि बाहरी सुंदरता के पीछे, सच्ची सुन्दरता हमारी आत्मा में होती है और यह केवल प्रेम, सहिष्णुता और समझ के साथ प्रकट होती है। नन्ही परी की सीख ने न केवल रानी सुषमा और अनन्या के जीवन को बदल दिया, बल्कि पूरे राज्य के लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई।
Story of Little Fairy and Princess | Chhoti Rani Aur Nanhi Pari Ki Kahani
Once upon a time there was a kingdom named Vikramgarh, which was famous for its beauty and prosperity. The king of this kingdom was Maharaj Virendra. Maharaj Virendra had two queens – the elder queen, whose name was Sushma, and the younger queen, whose name was Ananya. While the elder queen Sushma had a normal appearance, the younger queen Ananya was known for her beauty. There was a different glow on her face, and there was magic in her smile, which fascinated everyone.
Maharaj Virendra had a special affection towards Ananya. He always took care of Ananya’s wishes, while Sushma was often ignored. Sushma was deeply hurt due to this bad behavior. One day, she was very angry with Ananya and complained to the Maharaj. By ignoring Sushma’s sense of justice and patience, Maharaj Virendra once again took Ananya’s side. This made Sushma even more sad and she decided to leave the palace.
Sushma left the palace and started walking towards the forest. On the way there was a beautiful river, on the bank of which there was a pomegranate tree. Tired and sad, she sat down under the same tree. Her tears started falling, and her pain made the atmosphere sombre.
Then suddenly a little fairy appeared there. Her bright wings lit up the place and her smile made Sushma forget her sadness for a while. The little fairy asked the queen, “Why are you crying, dear queen?”
Sushma told her story – put her neglected situation and her painful feelings in front of the little fairy. Hearing this, the little fairy said, “O queen, I understand your pain. You need a chance at a new life. Take a bath by dipping three times in this river and then pluck a pomegranate from this pomegranate tree. You will see that you will become even more beautiful in the process. But remember, do just what I have said. No more and no less.”
Saying this, the little fairy suddenly disappeared. Sushma believed the fairy and went into the river water. She took a dip three times and then plucked a pomegranate from the pomegranate tree. As she rubbed the pomegranate on her face, the queen’s radiance increased. She became more beautiful than ever. But a hunter standing nearby was watching this scene. He was fascinated by the queen’s beauty and decided to approach her.
The hunter said to Sushma, “You are as beautiful as a dream! Should I take you with me to the forest?” Sushma immediately rejected his proposal and fled from there hiding her identity. She knew that her beauty could now land her in new problems.
Deciding to go back to the palace, Sushma thought that now she could make Ananya realize her mistake. Returning to the palace, Sushma told Ananya about her new place. Ananya was surprised to see the new look of her mother-in-law and started wondering how her mother became so beautiful.
Under the adverse circumstances, Ananya and Sushma clashed and a new game started. Ananya tried continuously to put herself on the path of beauty, but she did not get success. Finally, she decided to meet the little angel. When Ananya went under that tree, there the little angel told her in a sweet voice, “Only external beauty is not important, you need to forget the past memories and find your true identity.”
Ananya started focusing on her worth and the things she learned from her mother. She understood that true beauty lies in being good at heart. She did not give place to negativity in her mind and in no time, love started growing in the relationship between Queen Sushma and Ananya.
Thus, both the queens learned from their past and developed true love for each other in their hearts. Maharaja Virendra also understood his challenges and tried to bridge the gap between the queens.
The people of the kingdom also saw that true beauty and love does not come from external appearance but from the true passion of inner thoughts and feelings. A new chapter of happiness began in the Vikramgarh kingdom, where everyone had a feeling of respect and love for each other.
This story teaches us that behind the external beauty, true beauty lies in our soul and it is revealed only with love, tolerance and understanding. The teachings of the little angel not only changed the lives of Queen Sushma and Ananya, but also became an inspiration for the people of the entire kingdom.
FAQs on नन्ही परी और राजकुमारी की कहानी
प्रश्न 1: कहानी में सुषमा ने अपनी पहचान क्यों छिपाई?
उत्तर: सुषमा ने अपनी पहचान छिपाई क्योंकि वह जानती थी कि उसकी सुंदरता उसे नई समस्याओं में डाल सकती है। उसने ठुकराए गए स्ताव के बाद खुद को एक नए रूप में ढालने का निर्णय लिया।
प्रश्न 2: अनन्या को सुषमा के नए रूप का पता कैसे चला?
उत्तर: जब सुषमा महल वापस लौटी, तब उसने अनन्या को अपनी नई पहचान बताई। अनन्या ने अपनी मां के नए रूप को देखकर आश्चर्य जताया और सोचने लगी कि उसकी मां इतनी सुंदर कैसे हो गई।
प्रश्न 3: अनन्या ने अपनी सुंदरता की खोज में क्या किया?
उत्तर: अनन्या ने खुद को सुंदरता के रास्ते पर उतारने के लिए निरंतर कोशिश की, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। अंततः, उसने नन्ही परी से मिलने का निर्णय लिया, जो उसे सच्ची सुंदरता का संदेश देने आई।
प्रश्न 4: नन्ही परी ने अनन्या को क्या सिखाया?
उत्तर: नन्ही परी ने अनन्या को बताया कि केवल बाहरी सुंदरता महत्वपूर्ण नहीं है। उसे अपनी बीती यादों को भुलाकर अपनी सच्ची पहचान खोजने की जरूरत है और सच्ची सुंदरता दिल से अच्छे होने में है।
प्रश्न 5: सुषमा और अनन्या के बीच के संबंध कैसे विकसित हुए?
उत्तर: अनन्या ने अपनी मां से सीखी हुई बातों पर ध्यान देना शुरू किया और अपने मन में नकारात्मकता को स्थान नहीं दिया। इसके परिणामस्वरूप, सुषमा और अनन्या के बीच प्यार बढ़ने लगा और दोनों ने एक-दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम विकसित किया।
प्रश्न 6: इस कहानी से हमें क्या सिखने को मिलता है?
उत्तर: यह कहानी हमें सिखाती है कि बाहरी सुंदरता के पीछे सच्ची सुंदरता हमारी आत्मा में होती है। यह केवल प्रेम, सहिष्णुता और समझ के साथ प्रकट होती है। सच्ची सुंदरता और प्रेम बाहरी रूप से नहीं, बल्कि आंतरिक सोच और भावनाओं से आती है।
प्रश्न 7: महाराज वीरेंद्र की भूमिका क्या थी?
उत्तर: महाराज वीरेंद्र ने रानियों के बीच की दूरी को खत्म करने की कोशिश की। उन्होंने अपनी चुनौतियों को समझा और सुषमा और अनन्या के रिश्ते में सुधार लाने का प्रयास किया।
प्रश्न 8: कहानी का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर: कहानी का अंत इस प्रकार हुआ कि सुषमा और अनन्या ने अपने भूतकाल से सीखा और अपने दिलों में एक-दूसरे के प्रति सच्चा प्रेम विकसित किया। विक्रमगढ़ राज्य में खुशियों का नया अध्याय शुरू हुआ, जहाँ सभी एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम का भाव रखते थे।