शेखचिल्ली और खयाली पुलाव
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में शेखचिल्ली नामक एक आदमी निवासी था। वह अपनी अजीबोगरीब सोच और कल्पनाओं के लिए प्रसिद्ध था। गाँव वाले उसे अक्सर उसकी फिजूल की बातों के लिए चिढ़ाते थे, किंतु शेखचिल्ली की मग्नता उसकी पहचान बन चुकी थी।
एक दिन, शेखचिल्ली ने सोचा कि क्यों न वह एक ऐसा पुलाव बनाए, जो न केवल स्वादिष्ट हो, बल्कि उसे खाने से धन और वैभव भी प्राप्त हो। उसने सोचा, “अगर मैं खयाली पुलाव बना लूँ, तो निश्चित रूप से मुझे उस पुलाव से सारे खजाने मिलेंगे।” इस विचार से ही उसकी कल्पना उड़ान भरने लगी।
शेखचिल्ली ने अपने घर में जाकर एक बड़ा बर्तन निकाला और उसमें पानी भरने लगा। उसने सोचा कि उसे चावल और मसाले अच्छे से पकाने चाहिए। किंतु जब उसने चावल डालने का समय आया, तो उसे एहसास हुआ कि उसके पास चावल नहीं थे। उसने सोचा, “कोई बात नहीं, मैं तो बस खयाली पुलाव बना रहा हूँ।”
उसने बर्तन में केवल कल्पनाएँ डालनी शुरू कर दीं। उसने चीनी, घी, और सारे मसालों की काल्पनिक तस्वीरें अपनी आँखों के सामने रखीं। उसका मन मानो पुलाव की सुगंध से भर गया। जैसे-जैसे वह खयाली पुलाव के बारे में सोचता गया, उसके चेहरे पर संतोष की मुस्कान खिल उठी।
गाँव के अन्य लोग, जो उसकी बातें सुन रहे थे, बड़े आश्चर्य से उसकी बातें सुन रहे थे। शेखचिल्ली ने बताया, “जब मैं इस पुलाव को खाऊँगा, तो मैं राजाओं जैसा अमीर बन जाऊँगा। मेरे पास सब कुछ होगा—सोने के बर्तन, रत्न और अनंत धन।” लोगों ने उस पर हँसते हुए कहा, “शेखचिल्ली, तुमने तो खाली बर्तन में सिर्फ हवा भरी है, तुम्हें किस तरह का धन मिलेगा?”
परंतु शेखचिल्ली ने किसी की भी परवाह नहीं की। उसकी कल्पनाएँ उसे खुश रखती थीं। उसने अपने खयाली पुलाव को लेकर गाँव में चर्चा का विषय बना दिया, और लोग उसकी बातें सुनने आने लगे। धीरे-धीरे, उसके खयाली पुलाव की महिमा गाँव भर में फैल गई।
कुछ समय बाद, गाँव में एक व्यापारी आया, जिसने शेखचिल्ली की कल्पनाओं को सुना। उसने सोचा कि अगर शेखचिल्ली की खयाली पुलाव की नई विचारधारा को साकार किया जाए, तो यह एक नया व्यापार बन सकता है। व्यापारी ने शेखचिल्ली से उसे अपना विचार वास्तविकता में बदलने का आग्रह किया।
शेखचिल्ली की सोची-समझी खयाली पुलाव की रेसिपी को लेकर व्यापारी ने एक बड़ा बर्तन और सभी आवश्यक सामान बाजार से खरीदकर लाया। नतीजतन, दोनों ने मिलकर एक असली पुलाव बनाया, जो बेहद स्वादिष्ट और सुगंधित था।
गाँव में पुलाव का आयोजन किया गया और सब लोग उस अद्भुत रचना का आनंद लेने के लिए इकट्ठा हुए। शेखचिल्ली का खयाली पुलाव अब वास्तविकता का रूप धारण कर चुका था, और उसी दिन से वह कहानी गांव की एक अमिट याद बन गई।
इस प्रकार, शेखचिल्ली ने यह सीखा कि कल्पनाएँ और दृढ़ संकल्प जब मिलते हैं, तो वे कभी-कभी असली सफलता की ओर भी ले जा सकते हैं। इस अनुभव ने न केवल उसे एक सफल व्यक्ति बनाया, बल्कि पूरे गाँव को एक नई प्रेरणा दी कि सही दृष्टिकोण से हर खयाली पुलाव वास्तविकता में बदल सकता है।
Sheikh Chilli and the Dream Pulao
Once upon a time, there lived a man named Sheikh Chilli in a small village. He was famous for his strange thoughts and imaginations. The villagers often teased him for his frivolous talk, but Sheikh Chilli’s engrossment had become his identity.
One day, Sheikh Chilli thought why not make a pulao that would not only be delicious but would also bring wealth and prosperity. He thought, “If I make a dream Pulao, I will definitely get all the treasures from that pulao.” With this thought, his imagination started flying.
Shekh Chilli went to his house and took out a big pot and started filling it with water. He thought that he should cook the rice and spices well. But when the time came to put the rice, he realized that he did not have rice. He thought, “Never mind, I am just making a dream Pulao.”
He started putting only imaginations in the pot. He imagined the sugar, ghee, and all the spices before his eyes. His mind was filled with the aroma of the pulao. As he thought about his imaginary pulao, a smile of satisfaction bloomed on his face.
The other people in the village, who were listening to him, listened to him with great amazement. Sheikh Chilli said, “When I eat this pulao, I will become as rich as kings. I will have everything—golden utensils, gems, and infinite wealth.” People laughed at him and said, “Shekh Chilli, you have just filled an empty vessel with air, what kind of wealth will you get?”
But Sheikh Chilli did not care about anyone. His fantasies kept him happy. He made his imaginary pulao a topic of discussion in the village, and people started coming to listen to him. Slowly, the glory of his imaginary pulao spread throughout the village.
After some time, a merchant came to the village, who heard Sheikh Chilli’s fantasies. He thought that if Sheikh Chilli’s new idea of ’Khayali Pulao’ was brought to life, it could become a new business. The businessman urged Sheikh Chilli to turn his idea into reality.
The businessman bought a big pot and all the necessary ingredients from the market with Sheikh Chilli’s well-thought-out recipe. As a result, the two together made a real Pulao, which was extremely tasty and aromatic.
A Pulao was organized in the village and everyone gathered to enjoy the wonderful creation. Sheikh Chilli’s dream had now become a reality, and from that day onwards, the story became an indelible memory of the village.
Thus, Sheikh Chilli learned that when imagination and determination meet, they can sometimes lead to real success. This experience not only made him a successful person, but also gave a new inspiration to the entire village that with the right approach every dream can become a reality.