कृष्ण और अरिष्टासुर की कहानी – जब कान्हा ने भयानक बैल राक्षस का अंत किया
गोकुल में भय का माहौल
गोकुल की धरती पर उस दिन अचानक हलचल मच गई।
पशु विचलित होकर इधर-उधर भागने लगे, पक्षी आकाश में भयभीत होकर चिल्लाने लगे।
गायें और बछड़े एक ओर छिपने लगे।
गोकुलवासियों ने देखा कि एक भयानक राक्षस बैल (अरिष्टासुर) गाँव की ओर बढ़ रहा है।
उसकी लाल-लाल आँखें अंगारों की तरह चमक रही थीं, उसकी गर्जना से धरती काँप रही थी और उसकी टाँगें पर्वत जैसी विशाल थीं।
वह रास्ते में आने वाले पेड़ों को अपने सींगों से उखाड़ देता और झोपड़ियों को तोड़ डालता।
गाँव में हाहाकार मच गया।
गोकुलवासियों की चिंता
गोपियाँ भयभीत होकर अपने बच्चों को छिपाने लगीं।
ग्वालबाल भागते हुए कृष्ण के पास पहुँचे और बोले –
“कन्हैया! एक भयंकर राक्षस बैल हमारी ओर आ रहा है। वह सब कुछ नष्ट कर देगा।”
गोपियों ने भी यशोदा मैया और नंद बाबा से कहा –
“अब कौन हमें बचाएगा?”
कान्हा का साहस
कृष्ण ने शांत भाव से सभी को देखा और मुस्कुराकर बोले –
“डरो मत। यह बैल कितना भी बड़ा क्यों न हो, तुम्हारा कान्हा इसका अंत करेगा।”
उनके मासूम चेहरे पर दिव्य आभा चमक रही थी।
ग्वालबालों ने “जय कन्हैया लाल की” का नारा लगाया और कान्हा के पीछे खड़े हो गए।
अरिष्टासुर का आक्रमण
अरिष्टासुर ने गोकुलवासियों को भागते देखा तो और क्रोधित हो गया।
उसने गर्जना करते हुए कृष्ण की ओर दौड़ लगाई।
उसके खुरों की आवाज़ से धरती काँप उठी।
वह सीधे अपने विशाल सींगों से कृष्ण को भेदना चाहता था।
लेकिन कृष्ण ने तनिक भी विचलित हुए बिना उसके सींगों को अपने छोटे-से हाथों से पकड़ लिया।
गोकुलवासी आश्चर्य से देखने लगे –
“अरे! यह तो दिव्य लीला है। इतना छोटा बालक इतने भयंकर बैल को रोक रहा है!”
संघर्ष का विस्तार
अरिष्टासुर ने जोर लगाकर कृष्ण को कुचलना चाहा, लेकिन कान्हा ने उसे धकेल दिया।
वह फिर दौड़कर आया, कृष्ण ने उसे एक झटके से ज़मीन पर पटक दिया।
अरिष्टासुर उठकर फिर हमला करता, लेकिन हर बार कृष्ण और भी बलवान प्रतीत होते।
ग्वालबाल तालियाँ बजाकर हर्षित हो रहे थे और गोपियाँ भय से हाथ जोड़कर कृष्ण की ओर प्रार्थना कर रही थीं।
राक्षस का अंत
आखिरकार कृष्ण ने अरिष्टासुर को पकड़कर ज़ोर से ज़मीन पर गिरा दिया।
फिर अपने चरणों से उसके जीवन का अंत कर दिया।
अरिष्टासुर तड़पता हुआ वहीं गिर पड़ा और उसका दैत्य रूप समाप्त हो गया।
क्षण भर में गोकुल का वातावरण भयमुक्त हो गया।
गायें शांत हो गईं, पक्षी फिर से चहचहाने लगे और गोकुलवासी हर्षोल्लास से झूम उठे।
गोकुल की खुशी
सभी ग्रामीण दौड़कर कृष्ण के पास पहुँचे।
गोपियाँ कृष्ण को गले से लगाने लगीं और बोलीं –
“लला! तू ही हमारा रक्षक है।”
ग्वालबाल जय-जयकार करने लगे –
“कन्हैया लाल की जय!”
नंद बाबा और यशोदा मैया की आँखों में खुशी और गर्व के आँसू थे।
सभी ने समझ लिया कि उनका कान्हा कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु का अवतार है।
आध्यात्मिक महत्व
- धर्म और सत्य की रक्षा के लिए ईश्वर स्वयं अवतरित होते हैं।
- साहस और निडरता से हर संकट का सामना किया जा सकता है।
- राक्षस (अरिष्टासुर) का प्रतीक है अहंकार और क्रूरता, जिसे ईश्वर के भक्त मन और भक्ति से परास्त कर सकते हैं।
सीख (Moral)
- अन्याय और अहंकार का अंत निश्चित है।
- सच्चे साहस और सत्य की हमेशा विजय होती है।
- संकट चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, विश्वास और भक्ति से उसका समाधान संभव है।
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The Story of Krishna and Aristasura – How Kanha Defeated the Terrifying Demon Bull

Fear in Gokul
One day, the peaceful village of Gokul trembled with fear.
Birds screamed in the sky, cows ran in panic, and huts shook violently.
A terrifying demon bull named Aristasura was approaching.
His eyes glowed like fire, his roars echoed like thunder, and with his horns he uprooted trees and destroyed huts.
The villagers screamed and ran in fear.
Krishna Steps Forward
The cowherd boys rushed to Krishna and cried:
“Kanha! A demon bull is attacking our village!”
The women prayed in despair, and Nanda Baba looked worried.
But Krishna smiled fearlessly and said:
“Do not be afraid. Your Kanha will protect you.”
The boys cheered loudly:
“Victory to Krishna!”
The Mighty Battle
Aristasura charged at Krishna like a storm, his hooves shaking the earth.
He lowered his sharp horns to pierce the little boy.
But Krishna calmly caught his horns with His tiny hands and pushed him back.
The villagers gasped in awe – how could a small child fight such a giant bull?
Aristasura attacked again and again, but each time Krishna threw him down with ease.
The End of Aristasura
Finally, Krishna grasped the demon firmly, slammed him onto the ground, and pressed him down with His divine feet.
The bull let out a final roar before collapsing lifeless.
In an instant, peace returned to Gokul.
Birds chirped again, cows calmed down, and villagers danced with joy.
Celebration in Gokul
The people rushed to embrace Krishna.
The women showered Him with blessings, and the cowherd boys clapped in delight.
Mother Yashoda and Nanda Baba had tears of joy, realizing once more that their child was none other than the protector of the world.
Spiritual Meaning
- Aristasura represents arrogance and cruelty, which are destroyed by truth and devotion.
- God incarnates to protect His devotees and uphold righteousness.
- True courage and faith overcome even the greatest dangers.
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FAQs
Q1: अरिष्टासुर कौन था?
एक असुर जिसने बैल का रूप धारण करके गोकुल में आतंक मचाया।
Q2: कृष्ण ने अरिष्टासुर को कैसे मारा?
कृष्ण ने उसके सींग पकड़कर उसे ज़मीन पर पटक दिया और अपने चरणों से उसका वध किया।
Q3: इस कथा से क्या सीख मिलती है?
कि अहंकार और अन्याय का अंत निश्चित है, और सत्य की सदैव विजय होती है।