कर्ण के जन्म की कथा | कर्ण के पिता कौन थे | कर्ण का जन्म कहां हुआ था | कर्ण की मृत्यु कैसे हुई | कर्ण की कहानी दानवीर | कर्ण का इतिहास
महाभारत की कहानी: कर्ण के जन्म की कथा in Hindi | Karan Ka Janam Kaise Hua in Hindi | Karan Ki Janam Katha
यह कहानी है दानवीर कर्ण नाम के एक योद्धा की। केवल कर्ण की माँ कुंती ही जानती थी कि वह पांडवों में सबसे बड़े भाई थे। कर्ण का जन्म कुंती के विवाह से पहले हुआ था। इसलिए, कुंती ने कर्ण को छोड़ दिया क्योंकि वह लाकलाज से डरती थी। लेकिन कर्ण का जन्म कुंती के विवाह से पहले ही कैसे हो गया, इसके पीछे एक कहानी है।
यह उस समय की बात होती जब कुंती एक राजकुमारी थी और अभी तक विवाहित नहीं थी। ऋषि दुर्वासा ने राजकुमारी कुंती के पिता के महल में अतिथि के रूप में पूरा एक वर्ष बिताया। एक वर्ष तक कुंती ने उनके लिए बहुत कुछ किया। राजकुमारी ने उनके लिए जो किया उससे ऋषि दुर्वासा खुश हुए, इसलिए उन्होंने कुंती को किसी भी देवता को बुलाने और उससे एक बच्चा प्राप्ती का वरदान दिया।
एक दिन कुंती ने सोचा, “क्यों न इस वरदान को आजमाया जाए?” अत: उन्होंने सूर्य देव से प्रार्थना की और आव्हान किया।
शादी से पहले ही कुंती गर्भवती हो गई क्योंकि सूर्य देव आए और वरदान काम कर गया। कुछ समय बाद उसके एक पुत्र हुआ जो सूर्य देव के समान बलवान था। साथ ही, बच्चे का शरीर जन्म के समय से ही कवच और कुण्डलों से ढका हुआ था।
कुंती ने लोकलाज के पुत्र को एक टोकरी में डाल कर नदी में फेंक दिया क्योंकि उसे लोकलाज का डर था। एक सारथी और उसकी पत्नी को, जिनके कोई संतान नहीं थी, वो टोकरी मिली । जब कर्ण का जन्म हुआ, तो वे दोनों पुत्र पाकर बहुत खुश हुए और उसकी देखभाल करने लगे।
सूर्य के इस पुत्र को दानवीर कर्ण के नाम से जाना गया, और कई वर्षों बाद, उन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध में एक शक्तिशाली योद्धा के रूप में पांचों पांडवों का सामना किया।
महाभारत की कहानी: कर्ण के जन्म की कथा in Hindi | Karan Ka Janam Kaise Hua in English
This is the story of a warrior named Danveer Karna. Only Karna’s mother Kunti knew that he was the eldest brother of the Pandavas. Karna was born before the marriage of Kunti. Therefore, Kunti left Karna as she was afraid of Lakalaj. But there is a story behind how Karna was born before Kunti’s marriage.
This would have happened at a time when Kunti was a princess and not yet married. Sage Durvasa spent a whole year as a guest in the palace of Princess Kunti’s father. For one year Kunti did a lot for him. Sage Durvasa was pleased with what the princess had done for him, so he gave Kunti a boon to summon any deity and beget a child from him.
One day Kunti thought, “Why not try this boon?” So he prayed and invoked the Sun God.
Kunti became pregnant even before marriage because Surya Dev came and the boon worked. After some time he had a son who was as strong as the Sun God. Also, the child’s body was covered with kavacha and kundalas right from the time of birth.
Kunti threw Lokalaj’s son in a basket and threw it into the river because she was afraid of Lokalaj. A charioteer and his wife, who had no children, got the basket. When Karna was born, both of them were overjoyed to have a son and took care of him.
This son of Surya was known as Danveer Karna, and many years later, he faced the five Pandavas as a mighty warrior in the Battle of Kurukshetra.