माँ ब्रह्मचारिणी – नवरात्रि के दूसरे दिन पूजी जाने वाली देवी | Maa Brahmacharini Navratri Day 2
नवरात्रि का दूसरा दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए समर्पित है। यह स्वरूप साधना, तपस्या और संयम का प्रतीक है।
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🌟 माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप (Appearance of Maa Brahmacharini)
- माता के दाहिने हाथ में जपमाला और बाएँ हाथ में कमंडल होता है।
- वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं।
- उनका चेहरा शांत और तेजस्वी है।
- वे तप और योग शक्ति का साकार रूप मानी जाती हैं।
माँ ब्रह्मचारिणी की उत्पत्ति कथा (Origin Story)
देवी सती का आत्मदाह और पुनर्जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों में से दूसरा स्वरूप माँ ब्रह्मचारिणी का है।
देवी सती, जो भगवान शिव की प्रथम पत्नी थीं, अपने पिता दक्ष प्रजापति द्वारा शिव का अपमान सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने यज्ञकुंड में स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया।
सती के देह त्याग के बाद, शिव गहन तपस्या और विरक्ति में चले गए। सृष्टि का संतुलन बिगड़ने लगा, देवता चिंतित हुए। तब देवी सती ने हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लिया।
पार्वती का शिव के प्रति अनुराग
बाल्यकाल से ही पार्वती का मन भगवान शिव की भक्ति में लगा रहता था। हिमालयराज और उनकी पत्नी मैना देवी ने कन्या पार्वती को सुंदर, ज्ञानवान और गुणों से संपन्न बनाया। लेकिन पार्वती का हृदय सदैव एक ही संकल्प में रमा रहा—भगवान शिव को पति रूप में पाने का।
ऋषियों और देवताओं के कहने पर उन्होंने कठोर तपस्या का निश्चय किया।
कठिन तपस्या की शुरुआत
पार्वती ने अपने संकल्प को साकार करने के लिए वन में जाकर तपस्या आरंभ की।
उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि देवता भी चकित रह गए:
- पहले कई वर्षों तक उन्होंने केवल फल और फूल खाकर जीवन यापन किया।
- फिर वर्षों तक वे सूखे पत्ते खाकर रहीं।
- अंत में उन्होंने निर्जल और निराहार रहकर घोर तपस्या की।
उनकी इस अवस्था में वे भूमि पर बैठतीं, काँटों और पत्थरों पर तप करतीं, और निरंतर भगवान शिव का स्मरण करतीं।
देवताओं का प्रभावित होना
देवर्षि नारद ने एक दिन पर्वतराज हिमालय से कहा—
“आपकी कन्या पार्वती भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या कर रही हैं। उनकी इस साधना से तीनों लोक पवित्र हो रहे हैं। यह तपस्या कभी व्यर्थ नहीं जाएगी।”
देवताओं ने पार्वती को आशीर्वाद दिया और उनके तप की महिमा का गुणगान किया।
तपस्या का फल
हजारों वर्षों की तपस्या और ब्रह्मचर्य व्रत के कारण पार्वती को ब्रह्मचारिणी कहा गया।
उनकी यह साधना ब्रह्मचर्य, संयम और आत्मबल का प्रतीक बनी।
आखिरकार भगवान शिव उनकी भक्ति और दृढ़ संकल्प से प्रसन्न हुए और प्रकट होकर कहा—
“हे देवी! तुम्हारी तपस्या और संयम अद्वितीय है। मैं तुम्हें पत्नी रूप में स्वीकार करता हूँ।”
इसके बाद शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ।
उत्पत्ति कथा से मिलने वाली सीख
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा हमें यह सिखाती है:
त्याग और तपस्या आत्मिक शक्ति को जागृत करते हैं।
धैर्य और संयम से हर कठिन लक्ष्य संभव है।
भक्ति और साधना से ईश्वर को प्रसन्न किया जा सकता है।
👉 यह कथा हमें बताती है कि धैर्य, तपस्या और आत्मबल से हर कठिन लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
🕉️ माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि (Puja Vidhi of Maa Brahmacharini)
- प्रातः स्नान कर पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- कलश स्थापना करें और माँ दुर्गा का ध्यान करें।
- सफेद फूल, चंदन, अक्षत, और शक्कर का भोग अर्पित करें।
- माँ ब्रह्मचारिणी के मंत्र का जाप करें।
📿 माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र (Powerful Mantras)
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
पाठ करने से साधक को भक्ति, संयम और आत्मबल प्राप्त होता है।
माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा (Blessings of Maa Brahmacharini)
- तप, संयम और वैराग्य की प्राप्ति।
- जीवन में आत्मविश्वास और मानसिक शक्ति।
- वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य।
- साधना में सफलता और आध्यात्मिक उन्नति।
वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व
- आध्यात्मिक दृष्टि से: ये स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करती हैं।
- वैज्ञानिक दृष्टि से: व्रत और सात्विक आहार शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और मन को शांत करता है।
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लोक मान्यताएँ (Folklore & Traditions)
भारत के विभिन्न प्रांतों में माँ ब्रह्मचारिणी की विशेष पूजा होती है:
- गुजरात: गरबा नृत्य में दूसरे दिन इन्हें समर्पित गीत गाए जाते हैं।
- बंगाल: दुर्गा पूजा पंडालों में इनकी झांकी सजाई जाती है।
- उत्तर भारत: कन्याओं के लिए विशेष पूजन किया जाता है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q1: माँ ब्रह्मचारिणी को क्या भोग अर्पित किया जाता है?
👉 शक्कर और मिश्री का भोग।
Q2: माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा से क्या लाभ होता है?
👉 साधक को तप, संयम और मानसिक शक्ति मिलती है।
Q3: माँ ब्रह्मचारिणी किस चक्र की अधिष्ठात्री हैं?
👉 स्वाधिष्ठान चक्र।
Q4: क्या ब्रह्मचारिणी की पूजा विवाहित स्त्रियाँ कर सकती हैं?
👉 हाँ, यह पूजा हर किसी के लिए लाभकारी है।
Q5: माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप कैसा है?
👉 सफेद वस्त्र धारण किए हुए, हाथों में जपमाला और कमंडल।
👉 अगला भाग: माँ चंद्रघंटा – नवरात्रि के तीसरे दिन की देवी

Maa Brahmacharini – Navratri Day 2 Goddess
The second day of Navratri is dedicated to Maa Brahmacharini, the embodiment of penance, devotion, and discipline.
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Appearance of Maa Brahmacharini
- Holds a rosary in her right hand and a water pot in her left.
- Wears white attire.
- Her face radiates peace and divine energy.
- Symbol of austerity and meditation.
Origin Story of Maa Brahmacharini
Rebirth of Sati
After Sati immolated herself in Daksha Yagna, she was reborn as Parvati, daughter of Himalaya.
Intense Penance
From childhood, Parvati was devoted to Lord Shiva. She performed severe penance for thousands of years:
- Lived only on fruits and flowers.
- Later survived on dried leaves.
- Finally, undertook a penance without food and water.
This rigorous devotion earned her the name Brahmacharini.
Result of Tapasya
Impressed by her devotion, Lord Shiva accepted her as his consort.
👉 This story teaches that patience, discipline, and faith can achieve the impossible.
🕉️ Puja Vidhi of Maa Brahmacharini
- Clean the worship place and perform Kalash Sthapana.
- Offer white flowers, sandalwood, and sugar.
- Light a lamp and chant her mantras.
Mantra of Maa Brahmacharini
“Om Devi Brahmacharinyai Namah॥”
Chanting this mantra brings spiritual strength, discipline, and inner peace.
Blessings of Maa Brahmacharini
- Bestows penance, devotion, and discipline.
- Increases self-confidence and inner strength.
- Brings marital bliss and harmony.
- Helps in spiritual progress.
Spiritual & Scientific Significance
- Spiritual: Governs the Swadhisthana Chakra.
- Scientific: Fasting with a sattvic diet enhances energy and purifies the mind.
Folklore & Traditions
- Gujarat: Devotees dedicate Garba dances to her on Day 2.
- Bengal: Pandals display her idols.
- North India: Special pujas are performed for young girls.
❓ FAQs
Q1: What prasad is offered to Maa Brahmacharini?
👉 Sugar and mishri.
Q2: What are the benefits of worshipping Maa Brahmacharini?
👉 Discipline, inner strength, and devotion.
Q3: Which chakra does Maa Brahmacharini represent?
👉 Swadhisthana Chakra.
Q4: Can married women worship Maa Brahmacharini?
👉 Yes, her worship is beneficial for everyone.
Q5: How is Maa Brahmacharini depicted?
👉 In white attire, holding a rosary and a water pot.
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