राजा और तीन राजकुमारीयो की कहानी in Hindi | The King And Three Princes Story In Hindi
एक बार की बात है, एक राजा हिमांद्र था जो कि वह बहुत ही नेक, दयालु और उदार था । उसे लगता था कि वह एक ऐसा व्यक्ति है जो चीजों को अच्छी तरह समझता है, जो सही है वही करता है और हर चीज के बारे में सही सोचता है।
राजा के यहाँ तीन कन्याएँ उत्पन्न हुईं। जब कन्याएँ बड़ी हुई तो एक दिन अपनी तीनो बेटियों को बुलाया और उनसे कहा, “मेरे पास जो कुछ भी है वह सब तुम्हारा है। मैंने ही तुम तीनों को जीवन दिया है। तुम तीनों का भूत, वर्तमान और भविष्य वैसा ही है जैसा मैं चाहता था कि वे हों, और यह नहीं बदलेगा। तुम तीनों का भाग्य बनाने वाला मैं ही हूँ।”
जब राजा ने यह कहा, तो उसकी दो बेटियों ने शांति से उसकी बात मान ली, लेकिन तीसरी बेटी ने नहीं मानी। उसने कहा, “नहीं, मुझे नहीं लगता कि आप मेरे जीवन के भाग्य का निर्धारित करने वाले हो ।”
जब उनकी तीसरी बेटी ने ऐसा कहा तो यह सुनते ही राजा को क्रोध आ गया।
वह अपनी तीसरी बेटी को दिखाना चाहता था कि वह कितना सही है, इसलिए उसने उसे कैद खाने में बंद कर दिया।
इस वजह से राजा की तीसरी बेटी काफी दिनों तक बंद रही। राजा और उसकी दूसरी बेटियाँ राजघराने में आराम से रहते थे।
राजा मन ही मन सोचता है कि मैंने अपनी जिद्दी बेटी को जेल भेज दिया ये मेरे ही कारण हुआ है । लोग यह भी सोचते होंगे कि राजा ही चाहते होंगे कि उनकी बेटी का भाग्य ऐसा ही हो।
उसके लोग भी ऐसा ही सोचते थे। उन्होंने सोचा कि राजा की तीसरी बेटी ने अवश्य ही कुछ गलत किया है, इसलिए उन्होंने उसे बन्दी बना लिया। अगर ऐसा नहीं होता तो एक पिता अपनी बेटी के साथ ऐसा क्यों करता?
राजा और तीन राजकुमार की कहानी | The King And 3 Prince Story In Hindi
राजा कभी-कभी जेल में अपनी तीसरी बेटी को देखने जाता था। उसकी बेटी बहुत बीमार हो रही थी, लेकिन उसकी सोच में कोई बदलाव नहीं आया। लेकिन राजा अब यह नहीं देख सकता था कि उसकी बेटी कमजोर और बीमार हो जाये ।
एक दिन उसने अपनी तीसरी बेटी से कहा, “तुम कितनी जिद्दी हो, मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा आता है। अगर तुम मेरे सामने ऐसे ही रहोगी, तो मुझे नहीं पता कि मैं क्रोध होने पर क्या करूंगा। मैं तुम्हें मार भी सकता हूं। लेकिन मेरे पास एक दयालु हृदय है, इसलिए मैंने फैसला किया है कि अब तुम मेरे राज्य के पास एक जंगल में रहोगी ।”
राजा ने यह भी कहा, “जो लोग मेरे कहे अनुसार नहीं करते हैं, वे ही उस जंगल में रखे जाते हैं।” तुमने मेरी बात भी नहीं मानी क्योंकि तुम हठी थे, इसलिए अब तुम अपना शेष जीवन उन लोगों के साथ बिताओगे जंगल में ।’
फिर तीसरी बेटी को जंगल में रहने के लिए भेज दिया गया। तब उसने वहा पर फल और सब्जियां खाईं और एक गुफा में रहने लगी। वह केवल नदी का पानी पी सकती थी और गर्म रहने के लिए धूप में जा सकती थी ।
वहां खुली हवा में रहने और फल-फूल खाने के बाद वह जल्द ही ठीक हो गई। वहां उन्होंने खेती भी शुरू कर दी। उसने गुफा को घर जैसा बना दिया था और वहां खुश थी। एक दिन एक सूंदर यात्री वहाँ आया। उसे देखते ही उसे राजा की तीसरी बेटी से प्यार हो गया और उन्होंने विवाह कर लिया । वे खुशी-खुशी साथ रहने लगे।
उन दोनों के अलावा उस जंगल में और भी बहुत से लोग रहते थे। उनकी मदद से उन्होंने उस जंगल को एक शहर में बदल दिया।
कुछ वर्षों के बाद, राजा की तीसरी बेटी और यात्री को , उस शहर का राजा और रानी बनाया गया। अब पूरी दुनिया में लोग उनके शहर के बारे में बात करते हैं। जैसे ही राजा ने इस बारे में सुना, वह उस जंगल में यह पता लगाने के लिए गया कि वास्तव में सच क्या है । राजा वह जाता है सूंदर और सुविधा से भरा हुआ नगर देखता है , एक बहुत ही आलीशान महल में वो वहाँ अपनी पुत्री को एक सुन्दर युवक के साथ गद्दी पर विराजमान देखकर उसके होश उड़ गए।
राजा की बेटी ने अपने पिता को अत्यंत सम्मान दिया जब वह उससे मिलने उसके महल में आया। जैसे ही राजा बैठे, उन्होंने एक आवाज सुनी जो कह रही थी कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन के लिए स्वयं जिम्मेदार है। किसी और का क्या होगा यह कोई और तय नहीं कर सकता।
इसके बाद, राजा को अपने किए पर बुरा लगने लगा और उसने अपनी सभी बेटियों को आज़ाद कर दिया। उन्होंने अपनी तीन बेटियों से कहा, “भले ही तुम्हारे भाग्य मेरे हाथों में हैं, फिर भी तुम में से प्रत्येक खुद ही परीस्थितियों के अनुसार अपना भाग्य अच्छा व बुरा बना सकता है”
कहानी से सीखो
राजा और उसकी तीन राजकुमारीयो की कहानी हमें सिखाती है कि कोई एक इंसान किसी की तकदीर नहीं बदल सकता। हमारा भाग्य हमारे अपने हाथों में है, और हम अपनी सूझबूझ से हम बुरी परिस्थितियों को अच्छी परिस्थितियों में बदल सकते हैं।
राजा और तीन राजकुमारीयो की कहानी in English | The King And Three Princes Story In English
Once upon a time, there was a king Himandra who was very pious, kind and generous. He felt that he was a person who understands things well, does what is right and thinks right about everything.
Three daughters were born at the king’s place. When the girls grew up, one day he called his three daughters and said to them, “Everything that I have is yours. I have given life to all three of you. The past, present and future of all three of you are the same as I am. Wanted them to be, and this will not change. I am the one who makes the fate of all three of you.”
When the king said this, two of his daughters obeyed him calmly, but the third daughter did not. He said, “No, I don’t think you are going to decide the fate of my life.”
When his third daughter said this, the king got angry on hearing this.
He wanted to show his third daughter how right he was, so he locked her in the prison.
Because of this, the king’s third daughter remained locked up for a long time. The king and his other daughters lived comfortably in the royal house.
The king thinks in his mind that I have sent my stubborn daughter to jail, it is because of me only. People would also think that the king must have wanted his daughter’s fate to be like this.
राजा और तीन लड़के की कहानी | The King and Three Boys Story in Hindi
His people also thought so. They thought that the king’s third daughter must have done something wrong, so they imprisoned her. If this was not the case then why would a father do this to his daughter?
The king occasionally visited his third daughter in prison. His daughter was getting very ill, but there was no change in his thinking. But the king could no longer see that his daughter should become weak and ill.
One day he said to his third daughter, “I am very angry at how stubborn you are. If you remain like this in front of me, I do not know what I will do when I am angry. I may even kill you.” But I have a kind heart, so I have decided that you will now live in a forest near my kingdom.”
The king also said, “Those who do not do as I say, they are the ones who are kept in that forest.” You didn’t even listen to me because you were stubborn, so now you will spend the rest of your life with those people in the forest.’
Then the third daughter was sent to live in the forest. Then she ate fruits and vegetables there and started living in a cave. She could only drink river water and go out in the sun to stay warm.
After living there in the open air and eating fruits and flowers, she soon recovered. There he also started farming. She had made the cave a home and was happy there. One day a handsome traveler came there. On seeing her, he fell in love with the king’s third daughter and they got married. They started living together happily.
Apart from those two, there were many other people living in that forest. With their help, he converted that forest into a city.
After a few years, the king’s third daughter and the traveller, were made the king and queen of that city. Now people all over the world talk about their city. As soon as the king heard about this, he went to that forest to find out what was really the truth. The king goes there, sees a city full of beautiful and facilities, in a very luxurious palace, he is shocked to see his daughter sitting on the throne with a handsome young man there.
The king’s daughter showed utmost respect to her father when he came to meet her at his palace. As the king sat down, he heard a voice saying that each person was responsible for his own life. No one else can decide what will happen to someone else.
After this, the king felt bad for his actions and set all his daughters free. He said to his three daughters, “Even though your destinies are in my hands, each of you can make your own destinies, good or bad, according to the circumstances.”
Moral from the story
The story of the king and his three princesses teaches us that no one person can change the fate of others. Our destiny is in our own hands, and we can turn bad situations into good situations by using our intelligence.