शेखचिल्ली और तेंदुए का शिकार
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में शेखचिल्ली नामक एक व्यक्ति निवास करता था। अपनी हास्यप्रद हरकतों और अनोखे विचारों के लिए प्रसिद्ध, शेखचिल्ली ने जीवन में कभी गंभीरता को बर्दाश्त नहीं किया। उसके मित्र अक्सर उसकी बुद्धिहीनता पर हंसते और उसे ताने देते, लेकिन वह हमेशा अपनी विनोदप्रियता बनाए रखता।
एक दिन, गाँव में यह खबर फैली कि एक दुष्ट तेंदुआ निकटवर्ती जंगल में देखे गया है। तेंदुआ कोई साधारण जानवर नहीं था; उसने कई मवेशियों को मारकर गाँव वालों में आतंक उत्पन्न कर दिया था। गाँव के प्रमुख ने घोषणा की कि जो व्यक्ति तेंदुए का शिकार करेगा, उसे उचित इनाम दिया जाएगा। इस सुनहरे अवसर को पहचानते हुए, गाँव के कई शिकारियों ने अपनी तैयारी की।
शेखचिल्ली ने अपनी दिनचर्या को बदलने का निश्चय किया। उसने सोच विचार किया और यह निर्णय लिया कि वह भी तेंदुए का शिकार करेगा। उसके मित्रों ने उसे मजाक में लिया और कहा, “तुम तेंदुए का शिकार नहीं कर सकते, तुम्हारी चतुराई केवल हंसी के लिए है।”
लेकिन शेखचिल्ली ने हार नहीं मानी। उसने एक पुरानी बंजर भूमि में अपने लिए एक गड्ढा खोदना शुरू किया। उसके मित्रों ने उसे घेर लिया और तंज कसते हुए बोले, “हे शेखचिल्ली, क्या तुम गड्ढा खोदकर तेंदुए को बुला रहे हो?”
शेखचिल्ली ने मुस्कराते हुए कहा, “बिलकुल! मैं इसी गड्ढे में तेंदुए को फंसाने की योजना बना रहा हूँ। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैं इसके लिए विशेष तैयारी कर रहा हूँ।”
अपनी योजना के अनुसार, उसने गड्ढे के चारों ओर मांस के टुकड़े बिखेर दिए और उसके पास एक बड़ा पत्तल रखा, जिस पर उसने अपना अपना सामंजस्य बिठाया। वह वहां छिपकर तेंदुए का इंतजार करने लगा।
कुछ समय बाद, तेंदुआ इस चतुराई को देखता हुआ गड्ढे की ओर बढ़ा। जैसे ही वह मांस के टुकड़ों की ओर बढ़ा, शेखचिल्ली ने अपनी छिपी हुई तलवार से उसे पकड़ने का प्रयास किया। किंतु जैसे-जैसे तेंदुआ निकट आया, शेखचिल्ली की घबराहट बढ़ती गई और उसने तेंदुए के सामने आकर कहा, “आप हिम्मत मत हारिए, मैं भी एक शहर का बड़ा शिकारी हूँ!”
तेंदुए ने उस पर ध्यान नहीं दिया और मांस की ओर बढ़ता रहा। शेखचिल्ली ने अपनी चतुराई से काम लिया और झटके से तेंदुए को गड्ढे में धकेल दिया। तेंदुआ गिरा तो उसका चौंकाने वाला क्रोध और आक्रामकता स्पष्ट हो गई।
गाँव वाले जब शोर सुनकर आए, तो उन्होंने देखा कि शेखचिल्ली गड्ढे के किनारे खड़ा था और तेंदुआ गड्ढे के भीतर। गाँव के लोग उसकी चतुराई और साहस को देखकर हैरान रह गए। वे बधाई देने लगे और उसे सम्मानित किया।
इस प्रकार, शेखचिल्ली ने अपनी बेवकूफी दिखाते हुए भी साहस और चतुराई का परिचय दिया, और तेंदुए का शिकार कर गाँव को फिर से सुरक्षित बना दिया। शेखचिल्ली की यह कहानी आज भी गाँव में सुनाई जाती है, जहाँ उसे अपनी अनोखी चतुराई के लिए याद किया जाता है।
Sheikh Chilli and the Leopard Hunt
Once upon a time, there lived a man named Sheikh Chilli in a small village. Famous for his humorous antics and unique ideas, Sheikh Chilli never tolerated seriousness in life. His friends often laughed at his stupidity and taunted him, but he always maintained his sense of humor.
One day, the news spread in the village that a rogue leopard had been sighted in the nearby forest. The leopard was no ordinary animal; it had created terror among the villagers by killing many cattle. The village head announced that the person who would hunt the leopard would be given a suitable reward. Recognizing this golden opportunity, many hunters of the village made their preparations.
Shekh Chilli decided to change his routine. He thought over it and decided that he too would hunt the leopard. His friends mocked him and said, “You cannot hunt a leopard, your cleverness is only for laughs.”
But Sheikh Chilli did not give up. He started digging a hole for himself in an old wasteland. His friends surrounded him and taunted him, “Hey Sheikh Chilli, are you digging a pit and calling the leopard?”
Shekh Chilli smiled and said, “Absolutely! I am planning to trap the leopard in this very pit. You will be happy to know that I am making special preparations for this.”
According to his plan, he scattered pieces of meat around the pit and kept a big plate near it, on which he arranged his prey. He hid there and waited for the leopard.
After some time, the leopard, seeing this cleverness, moved towards the pit. As soon as he moved towards the pieces of meat, Sheikh Chilli tried to catch him with his hidden sword. But as the leopard came closer, Sheikh Chilli’s nervousness increased and he came in front of the leopard and said, “Don’t lose courage, I am also a big hunter of the city!”
The leopard did not pay attention to him and kept moving towards the meat. Sheikh Chilli used his cleverness and pushed the leopard into the pit. When the leopard fell, its shocking anger and aggression became evident.
When the villagers came after hearing the noise, they saw that Sheikh Chilli was standing on the edge of the pit and the leopard inside the pit. The villagers were surprised to see his cleverness and courage. They started congratulating and felicitating him.
Thus, Sheikh Chilli showed courage and cleverness even in his stupidity, and hunted the leopard and made the village safe again. This story of Sheikh Chilli is still told in the village, where he is remembered for his unique cleverness.