श्रीकृष्ण की दामोदर लीला – जब माँ यशोदा ने नटखट कान्हा को बाँधा
गोकुल में नन्हें कान्हा की शरारतें हर दिन बढ़ती जा रही थीं।
माखन चोरी की लीलाओं से गोकुलवासी परेशान भी थे और प्रसन्न भी, क्योंकि कान्हा की मुस्कान सबका दिल जीत लेती थी।
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि माँ यशोदा मैया ने ठान लिया कि अब उन्हें अपने नटखट लाल को अनुशासन सिखाना ही होगा।
माखन चोरी और मटकी का टूटना
एक दिन कृष्ण ग्वालबालों के साथ घर में रखी मटकी से माखन निकाल रहे थे।
हँसी-मजाक में वे इतना उछल-कूद करने लगे कि मटकी टूट गई और सारा माखन ज़मीन पर फैल गया।
यशोदा ने जब यह देखा तो क्रोधित हो गईं।
उन्होंने कान्हा को बुलाकर कहा –
“अब तो तुम्हें दंड मिलेगा!”
रस्सी से बाँधने का प्रयास
यशोदा ने घर से रस्सी निकाली और कान्हा को ओखली (चक्की) से बाँधने लगीं।
लेकिन आश्चर्य हुआ –
रस्सी चाहे जितनी लातीं, वह हमेशा दो अंगुल छोटी पड़ जाती।
गोकुल की औरतें हँसने लगीं और कहने लगीं –
“यशोदा! तुम्हारे कान्हा को कौन बाँध सकता है?”
यशोदा थक गईं, पसीने से भीग गईं, लेकिन हार नहीं मानी।
उनका हृदय प्रेम और ममता से भर गया।
जब ईश्वर प्रेम में बंधते हैं
कृष्ण ने यह देखकर सोचा –
“मेरा संसार में कोई मुझे बाँध नहीं सकता। लेकिन माँ का स्नेह और भक्ति अपार है।
ईश्वर केवल प्रेम से ही बंधते हैं।”
और तभी रस्सी पूरी हो गई।
यशोदा ने कान्हा को ओखली से बाँध दिया।
नन्हें कान्हा मुस्कुराए और अपने आँचल में छुपी हुई दिव्यता प्रकट कर दी।
यही लीला कहलाती है – दामोदर लीला।
आध्यात्मिक महत्व
- रस्सी का छोटा रहना दर्शाता है कि ईश्वर को केवल हमारी शक्ति से नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति से बाँधा जा सकता है।
- “दो अंगुल छोटी” का अर्थ है –
- एक अंगुल हमारी साधना, प्रयास और श्रम।
- दूसरी अंगुल ईश्वर की कृपा।
जब दोनों मिलते हैं, तभी भक्ति पूर्ण होती है।
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सीख (Moral)
- प्रेम और भक्ति से ही ईश्वर को पाया जा सकता है।
- मानव प्रयास और ईश्वर की कृपा साथ हों तो हर कार्य सफल होता है।
- ईश्वर अपने भक्तों के प्रेम से बंध जाते हैं, न कि बल से।
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Krishna’s Damodar Leela
In the village of Gokul, little Krishna’s pranks grew day by day.
His butter stealing made everyone laugh, yet one day, Mother Yashoda decided to discipline her beloved Kanha.
The Broken Butter Pot
Krishna, with his friends, once broke the butter pot while playing and spreading butter everywhere.
Seeing the mess, Yashoda became angry and said:
“Now you must be punished!”
Trying to Tie Krishna
Yashoda brought a rope and tried to tie Krishna to a mortar.
But no matter how long the rope was, it always fell short by two fingers.
The women of Gokul laughed and said:
“Yashoda! Who can ever bind your Krishna?”
Yashoda, though tired and sweating, did not give up.
Her heart overflowed with love and devotion.
When God Binds Himself in Love
Krishna then thought:
“No power in the world can bind me, but my mother’s love is boundless.
God can only be bound by love.”
At that moment, the rope became sufficient.
Yashoda tied little Krishna to the mortar, and he smiled playfully.
This became known as the Damodar Leela.
Spiritual Meaning
- The short rope signifies that God cannot be bound by strength but only by pure love and devotion.
- The “two fingers short” means:
- One finger is our effort and sadhana.
- The other finger is God’s grace.
Together, they complete devotion.
Moral of the Story
- God can only be bound by love and devotion.
- Effort + Grace = True success in devotion.
- Divine love is greater than any worldly power.
FAQs
Q1: दामोदर लीला क्यों कहलाती है?
क्योंकि इस लीला में कृष्ण को ओखली (दम) से रस्सी (उदर) द्वारा बाँधा गया, इसलिए यह “दामोदर लीला” कहलाती है।
Q2: रस्सी हमेशा छोटी क्यों पड़ रही थी?
यह संकेत था कि ईश्वर को बल से नहीं बाँधा जा सकता, केवल प्रेम और कृपा से बाँध सकते हैं।
Q3: “दो अंगुल छोटी” का क्या अर्थ है?
एक अंगुल – भक्त का प्रयास।
दूसरी अंगुल – भगवान की कृपा।
Q4: इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?
कि सच्चा प्रेम और भक्ति ही ईश्वर को आकर्षित करते हैं।