अलिफ लैला के किस्से: दूसरे बूढ़े का किस्सा जिसके पास दो काले कुत्ते थे
अलिफ लैला की कहानियों के खजाने में कई रहस्यमय और सम्मोहक किस्से हैं। उनमें से एक एक बूढ़े आदमी की कहानी है जिसके पास दो काले कुत्ते थे। यह कहानी ज्ञान और सत्य की खोज की चुनौतियों को दर्शाती है, साथ ही लालच और धोखे के खतरों के बारे में चेतावनी देती है।
कहानी इस प्रकार है:
एक बार एक बूढ़ा आदमी रहता था जिसके पास दो काले कुत्ते थे। वह कुत्तों से बहुत प्यार करता था और उन्हें अपने जीवन का सबसे मूल्यवान खजाना मानता था। एक दिन, बूढ़ा आदमी बीमार पड़ गया और उसे लगा कि उसकी मृत्यु निकट है।
उसने अपने बेटे को बुलाया और कहा, “मेरे प्रिय पुत्र, मेरी मृत्यु के बाद, मेरे कुत्तों की अच्छी देखभाल करना। उन्हें भोजन, आश्रय और प्यार देना। वे तुम्हारे प्रति वफादार रहेंगे, और उनकी वफादारी तुम्हें कभी निराश नहीं करेगी।”
बूढ़ा आदमी मर गया, और उसके बेटे ने अपने पिता की इच्छा का पालन करने का वादा किया। हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, बेटे को अपने कुत्तों की देखभाल करना भारी पड़ने लगा। उन्हें खिलाना और उनकी देखभाल करना महंगा था, और बेटे के पास आय के अन्य स्रोत नहीं थे।
एक दिन, बेटा एक अजनबी से मिला जो उसके कुत्तों को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। अजनबी ने बेटे को कुत्तों के लिए एक बड़ी राशि की पेशकश की, और बेटे ने लालच में आकर उन्हें बेच दिया।
अजनबी कुत्तों को ले गया और उन्हें एक दूर देश में बेच दिया। जब बेटे को एहसास हुआ कि उसने क्या किया है, तो देर हो चुकी थी। उसे अपने पिता की इच्छा का उल्लंघन करने और अपनी वफादार साथियों को धोखा देने का पछतावा होने लगा।
उसने कुत्तों को खोजने के लिए देश-दुनिया भटकना शुरू कर दिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वह कभी भी अपने प्रिय पालतू जानवरों से नहीं मिल सका।
अलिफ लैला के इस किस्से से हमें कई सबक मिलते हैं। सबसे पहले, यह हमें ज्ञान और सत्य की खोज के महत्व की याद दिलाता है। कुत्ते ज्ञान और सत्य के प्रतीक हैं, और बूढ़े आदमी का बेटा भौतिक धन के लालच में सच्चाई के सही मार्ग से भटक गया।
दूसरा, यह हमें लालच और धोखे के खतरों के बारे में चेतावनी देता है। लालच ने बेटे को अपने पिता की इच्छा को भूलने और अपने सबसे वफादार साथियों को धोखा देने के लिए प्रेरित किया।
अंततः, यह किस्सा हमें क्षमा और मोचन के महत्व की याद दिलाता है। बेटे को अपने कृत्यों पर पछतावा हुआ और उसने अपने कुत्तों को खोजने के लिए कड़ी मेहनत की। हालांकि वह उन्हें कभी नहीं ढूंढ पाया, लेकिन उसकी यात्रा क्षमा और मोचन की एक यात्रा थी।
अलिफ लैला की कहानियां सदियों से पाठकों को मनोरंजी और ज्ञान देने के लिए जानी जाती हैं। दूसरे बूढ़े का किस्सा जिसके पास दो काले कुत्ते थे, ज्ञान, लालच, धोखे और मोचन की एक शक्तिशाली और कालातीत कहानी है। यह एक कहानी है जो हमें मानवीय प्रकृति की पेचीदगियों और जीवन के महान प्रश्नों को समझने में मदद करती है।
The Tale of the Other Old Man and His Two Black Dogs: An Aliph Laila Story
In a dusty, sun-baked village nestled amidst rolling hills, lived an old man, his face etched with the wisdom of countless sunrises and sunsets. He was known simply as “The Other Old Man,” for the village already had one, a boisterous fellow with a fondness for storytelling and a cackle that echoed through the narrow lanes.
The Other Old Man, however, was a man of quietude. He spent his days tending to his small garden, his wrinkled hands coaxing life from the parched earth. His only companions were two sleek, black dogs, their fur as dark as the night sky and their eyes gleaming with an uncanny intelligence. They were inseparable from the old man, always at his heels, their silent presence a comforting shield.
The villagers whispered about the old man and his dogs. Some claimed the dogs were not ordinary, that they held a secret wisdom, a connection to the ancient spirits that roamed the hills. Others dismissed it as old wives’ tales, the ramblings of a mind touched by the sun. But no one dared to question the old man directly. His eyes, though gentle, held a depth that hinted at untold stories, a guarded knowledge that kept people at a distance.
One scorching summer day, a terrible drought gripped the village. The crops withered, the wells ran dry, and despair settled like a shroud over the community. The villagers, desperate and frightened, turned to their elder, hoping for a solution. But the elder, for all his boisterous tales, was clueless.
Finally, a young boy, bolder than the rest, approached the Other Old Man. He beseeched him for help, his voice trembling with desperation. The old man listened patiently, his gaze never leaving the boy’s face. Then, slowly, he rose, his dogs flanking him like silent sentinels.
He led them to a hidden spring, tucked away in a forgotten corner of the hills. The villagers gasped as the water, crystal clear and cool, gushed forth. The Other Old Man, with a gentle smile, simply pointed to the dogs. They had led him there, their uncanny senses picking up the faintest whisper of the hidden water source.
Word of the old man’s miracle spread like wildfire. The villagers, humbled and grateful, showered him with thanks. But the Other Old Man remained unchanged. He returned to his quiet life, his garden, and his two black dogs. He never sought praise or recognition, his only reward the grateful smiles of his neighbours.
From that day on, the villagers learned to respect the quiet wisdom, the hidden knowledge that resided not only in boisterous tales but also in the silent companionship of the Other Old Man and his two black dogs. They understood that true strength often lies in quiet observation, in listening to the whispers of the earth, and in the unwavering loyalty of those who walk beside us, even if they speak in a language we don’t understand.
And so, the tale of the Other Old Man and his two black dogs became a legend, a reminder that even in the most ordinary of lives, extraordinary magic can be found, if only we open our hearts and minds to see it.