Maha Munjya Horror Story Part 2 – मुनझ्या की वापसी और अगला शिकार
वेदांत की गूंज
वेदांत के लापता होने के तीन महीने बाद, पुणे के एक फिल्म इंस्टिट्यूट में उसके वीडियो का कैमरा डिलीवर हुआ।
पैकेज पर ना कोई नाम, ना पता… सिर्फ एक लेबल: “मत खोलो।”
पर curiosity के मारे, छात्रा अन्विता और उसका दोस्त राघव वीडियो देखने लगे।
वीडियो में कुछ सेकंड तो वेदांत का हंसता चेहरा था… फिर अचानक, फ्रेम काली हो गई…
और एक अजीब आवाज आई:
“मेरा व्रत अभी पूरा नहीं हुआ…”
और अंत में दिखा —
वेदांत उल्टा लटका हुआ, आंखें जल रही थीं, और पीठ पर लिखा था:
“मुनझ्या अब तुम्हारे शहर में है।”
पुणे में मुनझ्या का तांडव
अब शहर में अजीब घटनाएं शुरू होने लगीं:
- हॉस्टल की छत पर एक बच्चा दौड़ते दिखता
- शीशे में दुल्हन की लाल छाया झलकती
- और हर 21वें दिन, किसी छात्र का गायब हो जाना
राघव, जो मज़ाक करता था, एक रात हॉस्टल की छत पर गया।
उसने मुनझ्या की नकल करते हुए चिल्लाया:
“मुझे मेरी दुल्हन दो!”
अगली सुबह… राघव का शरीर उल्टा लटका मिला।
आंखें बाहर, जुबान कटी हुई… और पीठ पर वही सिंदूर का टीका।

रहस्य का भंडार – मृत्यु का वृत्त
अन्विता ने वेदांत की दादी को ढूंढ निकाला, जिन्होंने कहा:
“मुनझ्या अब किसी शरीर की ज़रूरत नहीं… वो आत्माओं को निगलने लगा है।”
हर 21 साल में, मुनझ्या 21 आत्माएं खाता है, ताकि वह अपने “विवाह” की रस्म पूरी कर सके।
और अब उसकी आखिरी 3 आत्माएं बची थीं…
एक थी राघव
दूसरी होगी अन्विता?
तीसरी… दुल्हन?
तांत्रिक की आखिरी चेतावनी
अन्विता पहुंची एक पुराने तांत्रिक त्रिपाठी बाबा के पास।
उन्होंने बताया कि मुनझ्या अब पुणे में एक “डिजिटल प्रेत” बन गया है।
“जहां उसका वीडियो देखा गया, वहां उसका प्रभाव फैलता है।”
अब हर वो इंसान जिसने वो कैमरा फुटेज देखा, वो शापित है।
एक ही उपाय है –
मुनझ्या के व्रत की “कालवधि” से पहले, उसकी “दुल्हन” को **मंत्रों से मुक्त करना… या उसकी जगह किसी को बलिदान देना।”
अंतिम रात – मृत्यु विवाह
अन्विता ने वेदांत के कैमरे की रिकॉर्डिंग को दोबारा देखा।
इस बार उसने देखा कि एक फ्रेम में वेदांत ने उसी पीपल के पेड़ के नीचे कुछ गाड़ा था।
वह मोहरगांव लौटी।
रात को खुदाई की… और वहां से निकला:
- एक लाल जोड़ा
- सिंदूर की डिब्बी
- और एक कटी हुई उंगली
तभी आसमान से बिजली गिरी, और पेड़ में आग लग गई।
मुनझ्या की चीख गूंजी:
“मेरी दुल्हन आई है!”
अंतिम बलिदान… या नई शुरुआत?
मुनझ्या प्रकट हुआ – पहले से ज़्यादा विकराल
उसका चेहरा अब आधा वेदांत और आधा विठोबा था।
वह बोला:
“अब शादी पूरी होगी – तू मेरी दुल्हन बन… या अपने प्राण दे!”
अन्विता ने आंखें बंद की, और त्रिपाठी बाबा का दिया मंत्र जपना शुरू किया।
“ॐ प्रेतो मोक्षं भवतु स्वाहा…”
चारों तरफ से आत्माओं की चीखें आईं…
और मुनझ्या आग में जलता चला गया…
पर क्या ये सच में अंत था?
सुबह सब शांत था।
पर अन्विता के हाथ में एक सिंदूर की डिब्बी थी…
और जब उसने मोबाइल देखा — उसका इंस्टाग्राम लाइव ON था…
…और 213 लोग उस रात का वीडियो देख चुके थे।
मुनझ्या की आत्मा अब इंटरनेट पर फैल चुकी है… अगली बार वो तुम्हारे स्क्रीन से निकलेगा…
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