कृष्ण मिट्टी खाते हैं और यशोदा जी को विराट रूप का दर्शन\
पढ़िए श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में से अद्भुत कथा – जब नटखट कान्हा ने मिट्टी खाई और माँ यशोदा को अपने मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड का दर्शन कराया।
नटखट कान्हा और मिट्टी की शरारत
गोकुल में नटखट कान्हा हर रोज़ नई-नई शरारतें किया करते थे।
कभी माखन चुराना, कभी बछड़ों की पूँछ पकड़ना और कभी सखाओं को उलझाना।
एक दिन सखाओं ने देखा कि कान्हा मिट्टी खा रहे हैं।
वे तुरंत माँ यशोदा के पास दौड़े और बोले –
“मैय्या! देखो देखो, कान्हा ने आज मिट्टी खा ली है।”
माँ यशोदा की चिंता
यह सुनकर यशोदा जी चिंतित हो गईं।
वो भागती हुई कान्हा के पास आईं और डाँटते हुए बोलीं –
“लला! तूने मिट्टी क्यों खाई? इससे पेट दुख जाएगा।”
कान्हा भोलेपन से मुस्कुराकर बोले –
“मैया! मैंने कोई मिट्टी नहीं खाई।”
लेकिन सखाओं ने जोर देकर कहा –
“हाँ-हाँ मैया, हमने अपनी आँखों से देखा है।”
कान्हा का मुँह खुलवाना
यशोदा जी ने गंभीर होकर कहा –
“अगर तूने मिट्टी नहीं खाई तो अपना मुँह खोलकर दिखा।”
कान्हा ने मासूमियत से अपना छोटा-सा मुँह खोला।
और तभी यशोदा जी को जो दृश्य दिखाई दिया, वह किसी भी मानव की कल्पना से परे था।
विराट ब्रह्मांड का दर्शन
यशोदा जी ने देखा कि कान्हा के छोटे से मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड विद्यमान है।
वहाँ सूर्य-चंद्रमा, असंख्य नक्षत्र, सागर, पर्वत, आकाशगंगाएँ, धरा और यहाँ तक कि गोकुल भी दिखाई दे रहा था।
उन्होंने स्वयं को भी कान्हा के मुख में देखा।
यशोदा जी विस्मय से काँपने लगीं और समझ गईं कि उनका ललना कोई साधारण बालक नहीं है।
वह स्वयं सर्वव्यापी परमात्मा हैं।
यशोदा का मातृभाव
लेकिन अगले ही क्षण उनका माँ का हृदय जाग उठा।
उन्होंने कृष्ण को गोद में उठा लिया और आँसू बहाते हुए उन्हें चूमने लगीं।
वह सोचने लगीं –
“मेरा लला चाहे कितना भी बड़ा देव क्यों न हो, पर मेरे लिए तो वही मेरा नन्हा बालक है।”
आध्यात्मिक महत्व
यह कथा हमें सिखाती है –
- ईश्वर सर्वत्र हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड उन्हीं में समाया है।
- माँ का प्रेम ईश्वर को भी बालक बना देता है।
- भक्ति में भोलेपन और मातृत्व का भाव सर्वोच्च है।
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Naughty Kanha Eats Mud
In the village of Gokul, little Krishna was always up to mischief.
One day, His friends saw Him secretly eating mud.
They rushed to Mother Yashoda and said:
“Maiyya! Krishna has eaten mud today!”
Yashoda’s Worry
Shocked, Yashoda ran to her son and asked,
“Kanha! Did you eat mud? It will hurt your stomach!”
Innocently, Krishna smiled and said,
“No Maiyya, I didn’t eat anything.”
But the cowherd boys insisted:
“Yes Maiyya, we saw it ourselves.”
The Mouth of the Universe
Yashoda then ordered Krishna to open His mouth.
As soon as Krishna opened it, Yashoda was struck with divine wonder.
Inside His tiny mouth, she saw the entire universe –
the sun, the moon, stars, oceans, mountains, galaxies, and even herself standing with Krishna in Gokul.
She trembled in awe, realizing her son was none other than the Supreme Lord Himself.
The Power of Mother’s Love
But in the very next moment, her motherly affection overcame divine revelation.
With tears in her eyes, she embraced Krishna and thought:
“No matter how great He is, for me, He will always be my little child.”
Spiritual Meaning
- The whole universe exists within God.
- True devotion is filled with love and innocence.
- Even the Almighty bows before a mother’s love.
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FAQs
Q1: कृष्ण ने मिट्टी क्यों खाई?
यह उनकी बाल लीलाओं में से एक शरारत थी, जिसके माध्यम से उन्होंने अपनी दिव्यता प्रकट की।
Q2: यशोदा जी को क्या दर्शन हुआ?
कृष्ण के मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड का विराट रूप।
Q3: इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?
कि ईश्वर सर्वव्यापी हैं और माँ का प्रेम सबसे बड़ा होता है।