श्रीकृष्ण द्वारा शकटासुर वध की अद्भुत कथा – Shakatasura Vadh Story in Hindi
पढ़िए शकटासुर वध की अद्भुत कथा, जब राक्षस शकटासुर बैलगाड़ी का रूप लेकर नन्हें कृष्ण को कुचलने आया और कान्हा ने खेल-खेल में उसका वध कर दिया।
गोकुल का हर्षोल्लास
गोकुल में चारों ओर उल्लास का वातावरण था।
नंद बाबा के घर भव्य उत्सव का आयोजन हुआ था।
गोपियाँ गा रही थीं, ग्वालबाल नाच रहे थे और ढोल-मंजीरे बज रहे थे।
आँगन में सुंदर बैलगाड़ियाँ, पात्र और पूजा की सजावट थी।
नन्हें कृष्ण पालने में लेटे हुए अपनी भोली मुस्कान से सबका मन मोह रहे थे।
कंस की दुष्ट योजना
मथुरा में कंस अपने महल में बार-बार विचार करता था –
“यह बालक मेरे विनाश का कारण बनेगा, इसे अभी समाप्त करना होगा।”
उसने अपने एक राक्षस साथी शकटासुर को आदेश दिया।
“जाओ, गोकुल में जाकर इस नन्हें बालक को तुरंत मार डालो।”
शकटासुर ने अपना रूप बदलकर बैलगाड़ी (शकटा) का रूप धारण किया।
यह बैलगाड़ी नंद बाबा के घर में पहले से खड़ी थी, उसमें दान-दक्षिणा और सामान रखा गया था।
असुर उसी गाड़ी में जाकर छिप गया और अवसर की प्रतीक्षा करने लगा।
नन्हें कान्हा का रोना
उत्सव चल ही रहा था कि नन्हें कान्हा की नींद खुली।
उनकी आँखें खुलते ही भूख लगी और वे जोर-जोर से रोने लगे।
यशोदा मैया गोपियों के साथ काम में व्यस्त थीं।
कृष्ण ने तुनकमिजाजी में अपने छोटे पैरों से पास की बैलगाड़ी को ठोकर मारी।
सभी को यह बस एक मासूम शिशु की हरकत लगी, परंतु वास्तव में यह दैवीय लीला थी।
असुर का विनाश
जैसे ही कान्हा के पैरों की ठोकर गाड़ी पर पड़ी,
वह भारी बैलगाड़ी पलभर में हिलने लगी और अचानक तेज़ आवाज़ के साथ चकनाचूर हो गई।
लकड़ियाँ टूटकर बिखर गईं, पहिए अलग हो गए और उसमें छिपा शकटासुर वहीं गिर पड़ा।
कृष्ण के दिव्य स्पर्श से वह तड़पकर प्राणहीन हो गया।
गोकुलवासियों ने यह दृश्य देखा तो सबके मुँह से एक ही बात निकली –
“यह असंभव है! एक छोटे बच्चे ने इतनी भारी गाड़ी को कैसे उलट दिया?”
गोकुलवासियों की प्रतिक्रिया
गोपियाँ माथे पर हाथ रखकर बोलीं –
“यह बालक साधारण नहीं है, इसमें दिव्य शक्ति है।”
कुछ ग्वालबाल दौड़कर नंद बाबा को बुलाने लगे।
नंद बाबा और यशोदा मैया दौड़कर आए और कृष्ण को गोद में उठा लिया।
यशोदा ने लल्ला को सीने से लगाकर कहा –
“हे लाला! तू तो बहुत भोला और नन्हा है, कहीं चोट तो नहीं लगी?”
सभी को यह एक अद्भुत चमत्कार प्रतीत हुआ।
लेकिन यशोदा के लिए कृष्ण तो बस उनका प्यारा लाला ही थे।
कथा का गूढ़ महत्व
- शकटासुर आलस्य और मानसिक बोझ का प्रतीक है।
- जैसे बैलगाड़ी पर अनावश्यक सामान लदा था, वैसे ही मनुष्य अपने जीवन में भ्रम, चिंता और आलस्य का बोझ ढोता है।
- जब तक हम यह बोझ नहीं छोड़ते, जीवन आनंदमय नहीं हो सकता।
- नन्हें कृष्ण ने यह संदेश दिया कि सच्ची शक्ति भीतर की पवित्रता और सक्रियता में है।
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सीख (Moral)
- भगवान की शक्ति से असंभव भी संभव हो जाता है।
- आलस्य और बोझिल जीवन व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है।
- ईश्वर हर भक्त की रक्षा करते हैं, चाहे वह कितना ही छोटा या असहाय क्यों न लगे।
Amazing story of killing Shakatasura by Shri Krishna – Shakatasura Vadh Story in English
Discover the inspiring story of Shakatasura Vadh, where demon Shakatasura disguised as a cart tried to crush baby Krishna but was destroyed effortlessly.

Joy in Gokul
In Gokul, everyone was celebrating.
The courtyard of Nanda Baba’s house was decorated with carts, vessels, and offerings.
Little Krishna was lying in His cradle, smiling innocently.
The Gopis were singing, and the cowherd boys were dancing with joy.
The Demon’s Plan
Meanwhile, in Mathura, King Kansa ordered the demon Shakatasura:
“Disguise yourself, enter Gokul, and kill this child before He grows up.”
The demon took the form of a heavy bullock cart loaded with gifts and offerings.
He hid himself inside the cart, waiting for the right moment to crush Krishna.
Baby Krishna Cries
As the festival continued, baby Krishna woke up hungry.
Mother Yashoda was busy, and Krishna began crying loudly.
Out of restlessness, the little child kicked His tiny feet against the cart.
The Cart Breaks
The cart, possessed by Shakatasura, trembled at once.
With a thunderous noise, it shattered into pieces.
Wheels rolled away, wooden planks broke, and the demon hidden inside was killed instantly.
Villagers Amazed
The people of Gokul rushed to the spot in shock.
“How can a baby destroy such a heavy cart?”
The Gopis folded their hands and whispered –
“This child is divine, He is no ordinary boy.”
Yet for Nanda Baba and Yashoda, Krishna was still their beloved child.
They lovingly embraced Him, worried about His safety.
Spiritual Message
- Shakatasura symbolizes laziness, burdens, and negativity of life.
- Just as Krishna destroyed the cart, we must destroy the unnecessary weight of worries and idleness.
- God’s message is clear: a pure heart and active spirit can conquer all demons.
Moral
- No obstacle is greater than God’s will.
- Laziness is the enemy of progress.
- With divine protection, even the weakest are safe.
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FAQs
Q1. शकटासुर कौन था?
वह एक राक्षस था जिसे कंस ने भेजा था और जिसने बैलगाड़ी का रूप धारण किया।
Q2. कृष्ण ने शकटासुर का वध कैसे किया?
नन्हें कृष्ण ने अपने छोटे पैरों की ठोकर से पूरी गाड़ी तोड़ दी और शकटासुर मर गया।
Q3. शकटासुर वध से हमें क्या सीख मिलती है?
जीवन में आलस्य और नकारात्मकता सबसे बड़े शत्रु हैं। ईश्वर की कृपा से हर बाधा नष्ट की जा सकती है।