श्रीकृष्ण द्वारा तृणावर्त वध की कथा – Trinavarta Vadh Story in Hindi
जानिए तृणावर्त वध की अद्भुत कथा, जब बवंडर रूपी असुर ने नन्हें कृष्ण को आकाश में ले जाकर मारने की कोशिश की, लेकिन कान्हा ने उसका अंत कर दिया।
गोकुल का शांत वातावरण
गोकुल की सुबह बड़ी ही सुंदर थी।
गायों की घंटियों की मधुर ध्वनि, बांसुरी की दूर से आती झंकार और ग्वालबालों की हँसी—सारा वातावरण आनंदमय था।
यशोदा मैया नन्हें कृष्ण को अपनी गोद में लेकर लोरी गा रही थीं।
कृष्ण अपनी बड़ी-बड़ी कमल जैसी आँखों से सबको निहार रहे थे।
कंस की नई चाल
मथुरा का अत्याचारी राजा कंस अभी तक शकटासुर की मृत्यु से चिंतित था।
उसने सोचा—
“यह बालक साधारण नहीं है। अगर इसे अभी न रोका गया तो एक दिन यह मेरा अंत करेगा।”
कंस ने एक और दैत्य भेजा—तृणावर्त, जो बवंडर (आँधी-तूफान) का रूप धारण करने में समर्थ था।
उसका उद्देश्य था, कृष्ण को हवा में उठाकर आकाश में ले जाना और फिर ऊँचाई से गिराकर मार डालना।
🌪️ बवंडर का प्रकोप
गोकुल के आकाश में अचानक काली घटाएँ छा गईं।
तेज़ हवाएँ चलने लगीं, धूल और पत्तियाँ उड़ने लगीं।
गोपियाँ चिल्लाईं—
“अरे! यह कैसी भयंकर आँधी है?”
उसी समय तृणावर्त प्रकट हुआ और बवंडर का रूप लेकर नन्हें कृष्ण को अपनी लपट में समेटकर आसमान की ओर उड़ गया।
यशोदा मैया घबरा गईं और रोने लगीं—
“अरे मेरे लाला को कौन ले गया?”
तृणावर्त और कृष्ण का संघर्ष
तृणावर्त ने सोचा—
“अब यह बालक कहीं दिखाई नहीं देगा। मैं इसे ऊँचाई से गिराकर समाप्त कर दूँगा।”
लेकिन तभी नन्हें कृष्ण का रूप अचानक भारी हो गया।
इतना भारी कि तृणावर्त का दम घुटने लगा।
कृष्ण उसकी गर्दन पकड़कर बैठ गए।
तृणावर्त की गति मंद पड़ गई।
आकाश में उड़ता हुआ वह असुर धीरे-धीरे थककर नीचे गिर पड़ा।
धरती पर गिरते ही उसका विशाल शरीर नष्ट हो गया और वह मृत्यु को प्राप्त हुआ।
गोकुलवासियों का हर्ष
गोकुलवासी दौड़कर आए।
उन्होंने देखा कि तृणावर्त का विशाल शरीर जमीन पर पड़ा है और नन्हें कृष्ण सुरक्षित हँसते हुए खेल रहे हैं।
सभी ने हाथ जोड़कर कहा—
“यह बालक कोई साधारण नहीं है, यह स्वयं साक्षात नारायण हैं। यह तो हमें हर संकट से बचाने आए हैं।”
यशोदा मैया कृष्ण को गले लगाकर रो पड़ीं।
उन्होंने कहा—
“मेरा लाला तो बहुत भोला है। भगवान, इसे हर संकट से बचाए रखना।”
आध्यात्मिक महत्व
- तृणावर्त अहंकार और भ्रम का प्रतीक है।
- जैसे असुर बवंडर बनकर सबको अंधकार में डाल देता है, वैसे ही जीवन में अहंकार और अज्ञान हमें सत्य से भटका देते हैं।
- कृष्ण का भारी होना यह संकेत है कि जब भक्ति और सत्य का भार मनुष्य के भीतर आता है, तो अहंकार स्वतः दब जाता है।
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सीख (Moral)
- अहंकार और अज्ञान मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है।
- जब जीवन में कठिनाई तूफ़ान बनकर आए, तो भगवान पर विश्वास रखें।
- सत्य और भक्ति की शक्ति सबसे प्रबल है, जो हर बुराई को नष्ट कर सकती है।
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The Story of Trinavarta Vadh – When Baby Krishna Destroyed the Whirlwind Demon
Discover the amazing story of Trinavarta Vadh, where the whirlwind demon carried baby Krishna into the sky, only to be destroyed by Him.

Peace in Gokul
The morning in Gokul was blissful.
Mother Yashoda was singing lullabies to baby Krishna.
Suddenly, the calm atmosphere turned into chaos.
Kansa’s New Plot
Angry at Shakatasura’s death, Kansa sent another demon—Trinavarta, the whirlwind demon.
His plan was to carry Krishna high into the sky and drop Him to His death.
🌪️ The Whirlwind
Dark clouds covered the sky.
Dust and leaves filled the air.
Trinavarta appeared in the form of a fierce whirlwind and lifted baby Krishna high into the sky.
Mother Yashoda screamed in fear—
“Who has taken away my child?”
The Demon’s Defeat
Trinavarta flew higher and higher, but suddenly Krishna’s body became unbearably heavy.
The demon gasped for breath.
Krishna sat on his neck, choking him.
Unable to bear the weight, Trinavarta lost his strength and fell down.
His huge body crashed on the ground, lifeless.
Villagers Amazed
The villagers rushed and found Krishna safe, playing happily.
They bowed and said—
“This child is divine. He is no ordinary boy.”
Mother Yashoda embraced Krishna with tears of joy.
Spiritual Meaning
- Trinavarta represents ego, ignorance, and delusion.
- Just as the demon blinded everyone with dust, ego blinds human beings from truth.
- Krishna’s heaviness shows that the weight of truth and devotion crushes ego.
Moral
- Ego is the greatest enemy of mankind.
- Trust in God during life’s storms.
- Devotion and truth can overcome any darkness.
FAQs
Q1: तृणावर्त कौन था?
वह एक राक्षस था जिसे कंस ने भेजा था और जो बवंडर का रूप ले सकता था।
Q2: कृष्ण ने तृणावर्त का वध कैसे किया?
कृष्ण ने आकाश में उसकी गर्दन पकड़ ली और अपना भार बढ़ा दिया, जिससे तृणावर्त गिरकर मर गया।
Q3: इस कथा का संदेश क्या है?
अहंकार और अज्ञान सबसे बड़ी बुराई है, जिसे केवल सत्य और भक्ति ही नष्ट कर सकते हैं।