श्री कृष्णा और चौथ की कथा in Hindi | Story of Shri Krishna and Chauth in Hindi
एक बार अर्जुन नीलगिरी में तपस्या करने गए। द्रौपदी ने सोचा कि यहां हर समय कुछ न कुछ विघ्न आते रहते हैं। अर्जुन उसे दूर करने के लिए यहाँ नहीं है, इसलिए कोई उपाय किया जाना चाहिए। यह सोचकर उसने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान किया।
जब भगवान वहां प्रकट हुए तो द्रौपदी ने उनसे उनके कष्टों से छुटकारा पाने के लिए कोई उपाय बताने को कहा। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा- एक बार पार्वती जी ने भी यही प्रश्न शिव जी से किया था, तब उन्होंने बताया था कि करवाचौथ का व्रत गृहस्थी में आने वाली छोटी-बड़ी बाधाओं को दूर करने वाला होता है। यह पित्त के दोष को भी दूर करता है। तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को एक कहानी सुनाई:
बहुत समय पलहे प्राचीन काल में एक धर्मपरायण ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी। बेटी के बड़े होने पर उसकी शादी कर दी गई थी। कार्तिक की चतुर्थी को कन्या ने करवा चौथ का व्रत रखा। सात भाइयों की लाड़ली बहन को चंद्रोदय से पहले ही भूख लगने लगी। पहली बार व्रत से उस में कमजोरी आ गई । बहन की ये हालत भाइयों के लिए असहनीय था। इसलिए वे कोई उपाय सोचने लगे।
उसने अपनी बहन से चंद्रोदय से पहले भोजन करने को कहा, लेकिन बहन नहीं मानी। तब भाइयों ने प्रेमपूर्वक पीपल के वृक्ष की आड़ में मशाल जलाई और कहा-देखो! चाँद निकल आया है। उठो , अर्ध दो और खाना खा लो ।’ बहन ने उठकर चंद्रमा को अर्ध्य दिया और भोजन किया। खाना खाते ही उसके पति की मृत्यु हो गई। वह रोने लगी । सौभाग्य से इंद्राणी देवदासियों को लेकर वहां से जा रही थी। रोने की आवाज सुनकर वह उस के पास गई और उससे रोने का कारण पूछा।
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ब्राह्मण कन्या ने सारा हाल कह सुनाया। तब इंद्राणी ने कहा- ‘तुमने करवा चौथ के व्रत में चंद्रोदय से पहले अन्न-जल ग्रहण किया, इसी कारण तुम्हारे पति की मृत्यु हुई। अब यदि आप अपने मृत पति की सेवा करते हुए बारह महीने तक हर चौथ का व्रत करती हैं तो करवा चौथ पर गौरी, शिव, गणेश, कार्तिकेय सहित चंद्रमा की पूजा करें और चंद्रोदय के बाद अन्न-जल ग्रहण करें, तो आपके पति के प्राण अवश्य लोट आएगा और वो जीवित होजयेगा ।’
उस दिन से ब्राह्मण लड़की 12 महीने के चौथ के साथ करवा चौथ का व्रत रखती है। व्रत के प्रभाव से उसका मृत पति जीवित हो गया। इस प्रकार यह कथा सुनाते हुए श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा- ‘यदि तुम भी इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करोगी तो तुम्हारे सारे दुख दूर हो जाएंगे और सुख-सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होगी।’ तब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण के कहे अनुसार करवा चौथ का व्रत रखा । उस व्रत के प्रभाव से महाभारत में पांडवों की विजय हुई और कौरवों की पराजय हुई ।
श्री कृष्णा और चौथ की कथा in English| Story of Shri Krishna and Chauth in English
Once Arjuna went to the Nilgiris to do penance. Draupadi thought that some or the other disturbance keeps coming here all the time. Arjuna is not here to drive him away, so some remedy must be found. Thinking of this, he meditated on Lord Shri Krishna.
When the Lord appeared there, Draupadi asked him to suggest some remedy to get rid of her sufferings. On this Shri Krishna said- Once Parvati ji had also asked the same question to Shiv ji, then she had told that the fast of Karwachauth is supposed to remove small and big obstacles in the household. It also removes the defect of bile. Then Shri Krishna narrated a story to Draupadi:
Long time ago, a pious Brahmin had seven sons and one daughter. When the daughter grew up, she was married. On the Chaturthi of Kartik, the girl kept the fast of Karva Chauth. The dear sister of seven brothers started feeling hungry even before the moonrise. For the first time he became weak after fasting. This condition of sister was unbearable for the brothers. That’s why they started thinking of some solution.
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He asked his sister to have food before moonrise, but the sister did not agree. Then the brothers lovingly lit the torch under the cover of the Peepal tree and said – Look! The moon has come out. Get up, give half and eat food.’ The sister got up and offered half to the moon and had food. Her husband died after eating the food. She began to cry . Fortunately, Indrani was leaving from there with the Devadasis. Hearing the sound of crying, she went to him and asked him the reason for crying.
The Brahmin girl narrated the whole situation. Then Indrani said- ‘You took food and water before moonrise in the fast of Karva Chauth, that’s why your husband died. Now if you fast every Chauth for 12 months while serving your dead husband, then worship Gauri, Shiva, Ganesha, Kartikeya along with Moon on Karva Chauth and take food and water after moonrise, then your husband’s life will be saved. Will definitely come back and he will be alive.’
From that day Brahmin girl observes Karva Chauth fast along with 12 months of Chauth. Due to the effect of the fast, her dead husband became alive. Narrating this story in this way, Shri Krishna said to Draupadi- ‘If you also observe this fast with full devotion and devotion, then all your sorrows will go away and there will be an increase in happiness, good luck, wealth and grain.’ Then Draupadi kept the fast of Karva Chauth as told by Shri Krishna. Due to the effect of that fast, the Pandavas won and the Kauravas were defeated in the Mahabharata.