एक ही घर की सोच की कहानी | Story of thinking of the same house in Hindi
हम दो भाई बचे थे एक ही मकान में रहते हैं, मैं पहली मंजिल पर और भैया निचली मंजिल पर। पता नही हम दोनों भाई कब एक दूसरे से दूर होते गए, एक ही मकान में रहकर भी हम कभी ज्यादा बातें नहीं करते , छोटे छोटे बात पर विवाद करते, यही सब चलता था।
भैया ऑफिस जल्दी जाते थे और वो घर भी जल्दी आते थे, जबकि मैं देर से जाता और देर से आता था, इसलिए मेरी गाड़ी हमेशा उनकी गाड़ी के पीछे ही खड़ी होती थी।
हर रोज सुबह गाड़ी हटाने के लिए उनका आवाज देना मुझे हमेशा अखरता था, मुझे लगता कि मेरी नींद खराब हो रही है। कभी रात के वक्त उनका ये बोलना बुरा लगता कि बच्चों को फर्श पर कूदने से मना करो, मुझे सोने में दिक्कत हो रहे है ।
ऐसे ही किसी दिनों की बात है मेरे ऑफिस की छुट्टी थी और मैं बालकनी में बैठा था, कि मुझे नीचे से मकान का गेट खुलने की आवाज आई मेने झांककर देखा, तो नीचे कॉलोनी के कुछ युवाओं की टोली थी जो होली त्यौहार का चंदा मांगने आई थी।
वो नीचे भैया से चंदा लेकर वो लोग पहली मंजिल पर आने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ने लगे, तब भैया बोले,” अरे उपर जाने की जरुरत नहीं है, उपर नीचे घर एक ही है”।
वो टोली तो चली गई पर मेरे दिमाग में भैया कि वो बात गूँज रही थी की उपर नीचे एक ही घर है।
मैं फिर शर्मिंदा महसूस करने लगा कि भैया में तो इतना बड़प्पन हैं, और मैं उनसे अपने मन में बैर रखता हूँ?
बात १००-२०० रूपयों के चंदे की नहीं बल्कि सोच की थी, और भैया अपनी अच्छी सोच में मुझसे बहुत आगे थे।
अगले दिन से मैने भी सुबह जल्दी उठकर गाड़ी बाहर करना शुरू कर दिया, और बच्चों को समझाया कि रात जल्दी सोया करें ताकि घर के बड़े चैन से सो सकें और सुब सुबह जल्दी उठ सके , क्योंकि “हमारा घर एक है”।
एक ही घर की सोच की कहानी | Story of thinking of the same house in English
We two brothers were left living in the same house, me on the first floor and brother on the lower floor. I don’t know when we both brothers kept moving away from each other, even living in the same house, not to talk much, to give importance to controversial things, all this used to happen.
Bhaiya used to go to office early and he also used to come home early, whereas I used to go late and come late, so my car always used to stand behind his car.
Every morning his call to remove the car was always irritating to me, I used to feel that my sleep was getting disturbed. Sometimes at night he used to say that forbid the children to jump on the floor, I would find it difficult to sleep.
It was a matter of days like this, it was a holiday in my office and I was sitting in the balcony, that I heard the sound of opening the gate of the house from below. Was.
They started climbing the stairs to come down to the first floor after taking the donation from brother, then brother said, “Hey, there is no need to go upstairs, there is only one house upstairs”.
That group has gone but brother, in my mind that thing was echoing that there is only one house above and below.
I again started feeling ashamed that brother has so much nobility, and I keep enmity with him in my mind?
It was not about the donation of 100-200 rupees but about thinking, and brother was far ahead of me in his good thinking.
From the next day I also started getting up early in the morning to take out the car, and explained to the children that they should sleep early at night so that they can sleep peacefully at home and wake up early in the morning, because “our house is one”.