Bhagavad Gita chapter 2 in Hindi | श्रीमद भगवद गीता अध्याय – 2 | Easy explain Bhagavad Gita in Hindi
भगवद गीता के दूसरे अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के मन की संशय से निपटने के लिए उपदेश दिया। इस अध्याय में भगवान ने जीवन के उद्देश्य और कर्म के महत्व पर बात की है।
भगवान कहते हैं कि हर कार्य में भावना की भावना के साथ करना चाहिए, बिना उसके भावना की भावना करके कोई भी कर्म नहीं करना चाहिए। कर्म का फल हमारे भावनाओं और भावनाओं के अनुसार होता है।
इस अध्याय में भगवान ने भी यह बताया कि जीवन का उद्देश्य क्या है। उन्होंने यह भी समझाया कि कर्मयोग का महत्व क्या है और कैसे हमें कर्मयोग की ओर अग्रसर करना चाहिए।
इस अध्याय में भगवान की शिक्षाएं हमें सही मार्ग दिखाती हैं और हमें सही कर्म करने की प्रेरणा देती हैं। भगवद गीता एक ऐसी ग्रंथ है जो हर व्यक्ति को अपने जीवन के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।
इस अध्याय के माध्यम से हमें यह सिखाने का मौका मिला है कि कैसे हमें अपने कर्मों को सही दिशा में ले जाना चाहिए और कैसे हमें अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सही मार्ग चुनना चाहिए।
इस अध्याय के माध्यम से हमें एक नया दृष्टिकोण मिलता है और हमें यही शिक्षा दी जाती है कि हमें कर्म का फल नहीं, कर्म करने में ही लाभ है। इसलिए, हमें निष्काम कर्म करने का प्रयास करना चाहिए और फल की आशा न करके सिर्फ कर्म करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
भगवद गीता का यह अध्याय हमें एक नया संदेश देता है और हमें सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए, हमें चाहिए कि हम भगवद गीता के अद्वितीय संदेश को अपने जीवन में अमल में लाएं और एक उच्च आदर्श बनें।
धन्यवाद।