श्रीकृष्ण और अघासुर की कथा – Krishna Aghasura Vadh Story in Hindi
गोकुल का नटखट आनंद
गोकुल की सुबह सुनहरी धूप और हल्की ठंडी बयार के साथ आई।
नन्हें कृष्ण और बलराम अपने मित्रों के साथ गाय-बछड़ों को लेकर जंगल की ओर बढ़ रहे थे।
ग्वालबाल हँसी-मज़ाक कर रहे थे, कुछ बछड़े दौड़ रहे थे, तो कुछ चर रहे थे।
कृष्ण अपनी बांसुरी की मधुर तान बजा रहे थे, जो जंगल में गूँजकर पक्षियों और पेड़ों को भी मंत्रमुग्ध कर रही थी।
एक ग्वालबाल बोला—
“लला, आज कौन सा चरागाह चुनेंगे?”
कृष्ण मुस्कुराए और बोले—
“जहाँ घास हरी और यमुना का पानी साफ़ हो, वहीं चलेंगे। साथ में खेल-खेल में मैं तुम्हें नई धुन भी सुनाऊँगा।”
बलराम ने हँसते हुए कहा—
“सुनो, भाई! आज तो हम पूरे जंगल में अपनी छाप छोड़ेंगे।”
कंस की दुष्ट योजना
मथुरा में कंस बेचैन था।
वह बार-बार सोच रहा था—
“शकटासुर, तृणावर्त, वात्सासुर सब नष्ट हो गए। यह बालक अब भी जीवित है और मेरे राज्य के लिए खतरा है। मुझे अब और शक्तिशाली राक्षस भेजना होगा।”
इस बार उसने बुलाया अघासुर, जो पुतना और बकासुर का भाई था।
अघासुर को विशाल अजगर में रूपांतरित करने का आदेश दिया गया।
कंस ने कहा—
“जाओ, गोकुल में हर आनंद छीन लो और बालक कृष्ण का अंत करो। इस बार कोई गलती न हो।”
अघासुर का भयावह रूपांतरण
अघासुर ने जंगल में प्रवेश किया और अपना रूप बदलकर विशाल अजगर बन लिया।
उसका शरीर लंबा और घना था, मुँह इतना विशाल कि उसमें पूरा ग्वालबाल दल और उनके बछड़े समा सकते थे।
उसकी आँखें लाल और आग की तरह चमक रही थीं, और चारों ओर भय का वातावरण फैल गया।
सांप की तरह उसका शरीर पेड़ों के बीच से फिसल रहा था और उसका धीमा मगर डरावना सर्पिल आक्रोश गोकुलवासियों को सता रहा था।
ग्वालबाल खेल-खेल में वहां पहुँचे, तभी उन्होंने देखा यह विशाल अजगर।
“अरे! यह क्या है? इतनी बड़ी गुफा जैसी चीज़!” एक बच्चा बोला।
कुछ उत्सुक बच्चे भीतर जाने लगे, कुछ डर के मारे पीछे हट गए।
कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा—
“डरो मत, भाई। मैं सबका ख्याल रखूँगा।”
ग्वालबालों की मासूम जिज्ञासा
ग्वालबालों की मासूम जिज्ञासा उन्हें अजगर की ओर खींच रही थी।
कुछ सोच रहे थे—“यह शायद कोई गुफा है, अंदर चलते हैं।”
कुछ डर के मारे काँप रहे थे।
बलराम ने फुसफुसाया—
“लला, सतर्क रहो। यह साधारण चीज़ नहीं है।”
लेकिन कृष्ण शांत रहे और अपने मित्रों को विश्वास दिलाया कि वे सुरक्षित हैं।
मौत की ओर पहला कदम
धीरे-धीरे ग्वालबाल अजगर के मुँह में प्रवेश करने लगे।
अंतरिक्ष में सन्नाटा छा गया।
जंगल की चुप्पी और भयावह वातावरण ने सबको थरथरा दिया।
बचपन की मासूमियत अब डर में बदल रही थी।
सब सोच रहे थे—“क्या अब हमारी आखिरी घड़ी है?”
कृष्ण का दिव्य संकल्प
अंततः कृष्ण अपने मित्रों की रक्षा के लिए आगे बढ़े।
वे अजगर के मुँह में प्रवेश करते ही दिव्य और विराट स्वरूप धारण कर लेते हैं।
अजगर के पूरे शरीर में जोर लगने लगता है, और उसकी साँसें सिकुड़ने लगती हैं।
वह तड़पने लगता है और धीरे-धीरे प्राण त्यागने लगता है।
कृष्ण ने अपनी सभी शक्ति का प्रयोग किया और अजगर को धरती पर गिरा दिया।
ग्वालबाल सकुशल बाहर निकल आए और अपने मित्र कृष्ण की जय-जयकार करने लगे।
दानव का अंत
अघासुर तड़पते हुए भूमि पर गिरा।
उसका विशाल शरीर धीरे-धीरे शांत हुआ और वह प्राण त्याग दिया।
ग्वालबाल सकुशल बाहर आ गए और उन्होंने भगवान कृष्ण की जय-जयकार की।
बलराम मुस्कुराए—
“मेरा भाई कोई साधारण बालक नहीं है। यह तो साक्षात भगवान विष्णु हैं।”
गोकुल की गोपियाँ और ग्वालबाल हाथ जोड़कर कहने लगे—
“हमारे लला हर संकट से हमें बचाने आए हैं।”
आध्यात्मिक रहस्य
- अघासुर = लोभ, क्रोध और विनाशकारी प्रवृत्तियों का प्रतीक।
- जैसे अघासुर ग्वालबालों को निगलने आया, वैसे ही जीवन में लोभ और क्रोध हमें निगलने आते हैं।
- भक्ति और ईश्वर में विश्वास ही हमें हर संकट से बचाता है।
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जीवन की सीख
- संकट कितना भी बड़ा क्यों न हो, ईश्वर पर विश्वास रखें।
- विवेक और साहस के साथ हर बुराई का अंत किया जा सकता है।
- सच्चाई और भक्ति का मार्ग हमेशा जीतता है।
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The Story of Krishna and Aghasura – Krishna Kills the Serpent Demon
Joyful Gokul
In Gokul, Krishna and Balarama led their friends to the forest with cows and calves.
The air was filled with laughter and the sweet tunes of Krishna’s flute.
Kansa’s Evil Plan
Kansa, worried after previous failures, sent Aghasura, the giant serpent demon,
to take revenge for Putana and Bakasura and attack Krishna.
Aghasura’s Terrifying Transformation
The demon transformed into a massive serpent.
Its mouth was so huge that it could swallow all the cowherd boys and calves.
Fear spread everywhere as the serpent approached.
Innocent Curiosity
The boys, thinking it was a cave, entered one by one.
Some were excited, some scared.
Krishna watched calmly, smiling.
Approaching Danger
One by one, the cowherd boys entered the serpent’s mouth.
The atmosphere was tense and full of fear.
Krishna’s Divine Resolve
Krishna entered the serpent’s mouth to save His friends.
Inside, His divine form expanded, and the serpent started choking.
The Demon’s End
Aghasura writhed in pain and fell lifeless to the ground.
The cowherd boys emerged safely and cheered for Krishna.
Balarama said proudly,
“My brother is no ordinary child; He is the Supreme Lord.”
Spiritual Meaning
- Aghasura symbolizes greed, anger, and destructive tendencies.
- Evil may try to engulf us, but devotion and faith protect us.
Moral
- Trust in God during life’s biggest challenges.
- Courage and wisdom defeat evil.
- Truth and devotion always prevail.
FAQs
Q1: अघासुर कौन था?
वह पुतना और बकासुर का प्रतिशोधी विशाल अजगर रूपी राक्षस था।
Q2: कृष्ण ने अघासुर को कैसे मारा?
कृष्ण ने पहले उसके भीतर प्रवेश किया और अपनी दिव्य शक्ति से उसे तड़पकर मृत्यु को प्राप्त किया।
Q3: इस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?
संकट चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, ईश्वर और भक्ति में विश्वास होने पर हर बुराई नष्ट हो जाती है।