राजा और मछुआरे की कहानी in Hindi | A King And The Fisherman Story In Hindi
बहुत समय पहले तारक देश में प्रताप नाम का एक राजा राज्य करता था। उस राजा के पास एक बहुत सुंदर तालाब था जिसमें बहुत सारी किस्म की मछलियाँ थीं। मछलियों की देखभाल एक मछुआरा करता था जिसे राजा ने रखा था। मछुआरा बहुत अच्छा इंसान था। उसने वह सब किया जो राजा ने कहा।
जब राजा को मछली खाने की इच्छा होती थी, तो वह हमेशा उसी मछुआरे से अपनी मनचाही मछली लाने को कहता था। हर बार मछुआरा उनके लिए बहुत ही स्वादिष्ट मछली लाया करता था। एक दिन राजा को आश्चर्य होने लगा कि वह हमेशा इतनी स्वादिष्ट और अच्छी मछली कैसे पकड़ सकता है।
राजा के गुप्तचरों ने एक दिन उसे बताया कि मछुआरा मछली पकड़ना नहीं जानता, फिर भी वह प्रतिदिन राजा के पास मछली लाया करता था। एक दिन, राजा ने फैसला किया कि वह यह पता लगाएगा कि मछुआरा मछली कैसे पकड़ते हैं।
राजा ने नौकर से कहा कि मछुआरे को अभी बुलाओ और कहा, “सुनो, आज तालाब में सबसे बड़ी मछली पकड़ कर मेरे पास ले आओ।”
मछुआरा मछली पकड़ने के लिए तालाब में गया जब राजा ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था। यहाँ तक कि राजा भी उसके पीछे चलने के लिए तेजी से आगे बढ़ा।
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जैसे ही मछुआरा तालाब के पास पहुंचा उसने एक मंत्र बोला और तालाब की सबसे बड़ी मछली उसके पैरों के पास आ गिरी। मछुआरे ने तालाब को प्रणाम किया और महल की दिशा में चला गया। राजा पीछे से सब कुछ देख रहा था और यह देखकर वह वाकई चौंक गया। फिर वह अपने महल आज्ञा गया।
एक दिन राजा ने मौका देखकर मछुआरे से पूछा कि उसने मछली कैसे पकड़ी। राजा ने पूछा, “तुम ऐसा कौन सा मंत्र जानते हो जिसके उच्चारण से मछली तुम्हारे पास आ जाए?” तुम मुझे भी सिखाओ । जब मछुआरे ने राजा की बात सुनी तो वह हैरान रह गया। उसने कहा “माफ कीजिए महाराज !। आप मुझसे इस मंत्र का उच्चारण करना नहीं सीख सकते।”
राजा इस बात पर जोर देता रहा कि मछुआरा उसे एक बार मंत्र सिखाए। अंत में मछुआरे को झुकना पड़ा, इसलिए उसने राजा को वह मंत्र सिखाया। मंत्र सीखने के बाद राजा स्वयं ही तालाब के किनारे पर जाकर बोला। तभी उसके ठीक बगल में एक मछली आकर गिरी।
इसके बाद राजा बहुत खुश हुआ। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह चाहता था कि यह बात सभी को पता चले। जब उसे मौका मिला तो उसने अपने दरबार में सबको इस मंत्र के बारे में बता दिया। जब सभी ने राजा की बात सुनी, तो वे सभी बहुत हैरान हुए और उससे पूछा कि उसे इस मंत्र के बारे में किसने बताया।
इस बात पर राजा ने कहा, बहुत समय पहले उनकी भेंट एक बड़े ऋषि से हुई थी। उन्होंने उन्हें इस मंत्र के बारे में ये बातें बताईं। राजा की बात सुनने के बाद, सभी मंत्री तालाब के किनारे यह पता लगाने के लिए गए कि क्या ये सच है और मंत्र का जाप करने लगे। मन्त्रियों द्वारा बार-बार मंत्र दोहराने पर भी तालाब से एक भी मछली नहीं निकली।
इस वजह से राजा को सभी मंत्रियों के सामने बहुत शर्मिंदा होना पड़ा था। इसके बाद वह उस मछुआरे पर भड़क गया और उससे कहा कि उसे सजा मिलनी चाहिए। तभी अचानक तालाब से एक आवाज आयी, “राजन, सुनो! मछुआरे ने कुछ गलत नहीं किया। आपने मछुआरे को गुरु नहीं माना और जूठ बोलै कि आपके गुरु ने आपको यह मंत्र सिखाया है। इस वजह से मछलियां तालाब से बाहर नहीं निकलीं। यदि आपने मछुआरे को अपना गुरु मान लिया होता तो ऐसा न होता।”
तालाब की बात सुनकर राजा को अहसास हुआ कि उससे गलती हो गई है। उसने तुरंत मछुआरे से माफी मांगी और उसे अपना गुरु बनने के लिए कहा। तब मंत्र काम करने लगा और राजा भी खुश हुआ।
कहानी से सीखें
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही अपने शिक्षकों का अपमान करना चाहिए।
राजा और मछुआरे की कहानी in English | A King And The Fisherman Story In English
A long time ago, a king named Pratap used to rule in the country of Taraka. That king had a very beautiful pond which had many types of fish. The fishes were looked after by a fisherman who was hired by the king. The fisherman was a very nice person. He did everything the king said.
When the king wanted to eat fish, he always asked the same fisherman to bring him the fish he wanted. Every time the fisherman used to bring very tasty fish for him. One day the king began to wonder how he could always catch such tasty and good fish.
The king’s spies told him one day that the fisherman did not know how to catch fish, yet he used to bring fish to the king every day. One day, the king decided that he would find out how the fishermen caught fish.
The king told the servant to call the fisherman now and said, “Listen, today catch the biggest fish in the pond and bring it to me.”
The fisherman went to the pond to catch fish when the king told him to do so. Even the king hastened to follow him.
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As soon as the fisherman reached near the pond, he chanted a mantra and the biggest fish in the pond fell at his feet. The fisherman bowed down to the pond and went in the direction of the palace. The king was watching everything from behind and he was really shocked to see this. Then he went to his palace.
One day the king saw the opportunity and asked the fisherman how he caught the fish. The king asked, “Which mantra do you know by reciting which the fish will come to you?” You teach me too When the fisherman heard the king’s words, he was surprised. She said “Sorry Maharaj!. You cannot learn to chant this mantra from me.”
The king kept insisting that the fisherman should teach him the mantra once. At last the fisherman had to bow down, so he taught that mantra to the king. After learning the mantra, the king himself went to the bank of the pond and spoke. Then a fish came and fell right next to him.
After this the king was very happy. His happiness knew no bounds. He wanted everyone to know this. When he got a chance, he told everyone in his court about this mantra. When everyone heard the king, they were all very surprised and asked him who told him about this mantra.
On this the king said, a long time ago he had met a great sage. He told them these things about this mantra. After listening to the king, all the ministers went to the bank of the pond to find out whether it was true and started chanting the mantra. Even after repeated mantras by the ministers, not a single fish came out of the pond.
Because of this the king had to be very embarrassed in front of all the ministers. After this he got angry at that fisherman and told him that he should be punished. Then suddenly a voice came from the pond, “Rajan, listen! The fisherman did not do anything wrong. You did not accept the fisherman as your guru and lied that your guru taught you this mantra. Because of this the fishes did not come out of the pond. If If you had accepted the fisherman as your guru, this would not have happened.”
After listening to the pond, the king realized that he had made a mistake. He immediately apologized to the fisherman and asked him to be his mentor. Then the mantra started working and the king was also happy.
Moral from the story
This story teaches us that we should never lie or insult our teachers.