चावल के एक दाने की कहानी in Hindi | Story of a grain of rice in Hindi
द्वापर युग के दौरान, पांडव जंगल में रहते थे, जबकि दुर्योधन हस्तिनापुर में आराम से रहते थे। एक दिन महर्षि दुर्वासा और उनके शिष्य अतिथि के रूप में हस्तिनापुर आए।
दुर्योधन ने काफी अच्छे तरह से उनका आतिथी सत्कार किया और इसी पवित्र काम के बिच दुर्योधन ने अपने मामा शकुनी के साथ मीलकर पांडवो को परास्त करने की एक योजना बनाई।
जब महर्षि दुर्वासा ने कहा की हम अब भोजन करेंगे. तब दुर्योधन बोला की ऋषियों को भोजन करना तो एक महापुण्य का कार्य है. लेकिन महर्षी दुर्वासा में आपसे अनुरोध करता हूं की इस महापुण्य को प्राप्त करने का अवसर मैं अपने बड़े भाई युधिष्ठिर को देना चाहता हूं
इतना कहकर दुर्योधन ने महर्षि दुर्वासा और अपने शिष्यों को पास के जंगल में स्थित युधिष्ठिर की कुटिया में भोजन करने के लिए भेज दिया। क्योंकि वह जनता था की दोपहर तक, पांडव और द्रौपदी भोजन कर चुके होंगे, और झोपड़ी में कोई भोजन नहीं बचा होगा।
महर्षि दुर्वासा और उनके अनुयायी कुछ ही समय में पांडवों के कुटिया पर थे। वहाँ, युधिष्ठिर ने उनका बहुत सम्मानपूर्वक स्वागत किया। महर्षि दुर्वासा ने युधिष्ठिर को बताया कि उन्होंने और दुर्योधन ने क्या बात की थी।
और कहा कि मैं नहाने के बाद शिष्य और मैं एक साथ भोजन करेंगे। इतना कहकर सभी ऋषि स्नान करने नदी पर चले गए। धर्मराज युधिष्ठिर तुरंत द्रौपदी के पास गए और उसे सुब कुछ बताया।
द्रौपदी ने कहा, “खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है।” जब द्रौपदी ने इस बारे में सोचा तो यह सोचकर उसका दिल घबराने लगा। ऋषियों को भोजन न मिला तो। अत: उन्हें महर्षि दुर्वासा के क्रोध और श्राप का पात्र बनना होगा।
कठिन घडी में द्रोपदी अपने मित्र सखा कृष्ण के बारे में सोचतीं। लीलाधर कृष्ण उसी समय द्रौपदी के घर गए। जब उसने उसे देखा, तो द्रौपदी उनके पास दौड़ी, उसका अभिवादन किया और अपनी समस्य बताने लगी तो कृष्ण ने द्रौपदी से कहाँ की तुम कुछ समय के लिए समस्या भूल जाओ , और सबसे पहले मेरे लिए कुछ खाने को लाओ। मुझे बहुत भूख लगी है। तब द्रौपदी ने अक्षयपात्र लाकर कृष्ण को दे दिया।
द्रौपदी ने आपकी समस्या भी बताई। महर्षि दुर्वासा और उनके अनुयायी शीघ्र ही भोजन करने आएंगे। लेकिन घर में खाने का एक टुकड़ा तक नहीं बचा है। द्रौपदी की बात सुनकर कृष्ण मुस्कुराए और बर्तन में देखने लगे। उस कटोरी में चावल का एक ही दाना बचा था।
भगवान कृष्ण ने पूछा, “ये क्या इसमें अभी भी बहुत सारा भोजन है? और चावल का आखिरी दाना खा लिया।” इधर श्री कृष्ण चावल के उस एक दाने को खाते रहते हैं। उधर महर्षि दुर्वासा और उनके अनुचर स्नान करके नदी से बाहर आ गये और पेट भर कर जाने के कारण डकारें लेने लगे।
और युधिष्ठिर की कुटिया में जाने के बजाय अपनी यात्रा पर निकल पड़े। ऋषियों को चावल का सिर्फ एक दाना देकर, भगवान कृष्ण ने पांडवों को उनके क्रोध और श्राप से बचाया।
चावल के एक दाने की कहानी in English | Story of a grain of rice in English
During the Dwapara Yuga, the Pandavas lived in the forest, while Duryodhana lived comfortably in Hastinapura. One day Maharishi Durvasa and his disciples came to Hastinapur as guests.
Duryodhana hosted him very well and in the midst of this holy work, Duryodhana along with his maternal uncle Shakuni made a plan to defeat the Pandavas.
When Maharishi Durvasa said that we will have food now. Then Duryodhan said that feeding the sages is an act of great virtue. But I request you in Maharishi Durvasa that I want to give this opportunity to my elder brother Yudhishthira to achieve this great virtue.
Saying this, Duryodhana sent Maharishi Durvasa and his disciples to Yudhishthira’s hut located in the nearby forest to have food. Because he knew that by noon, the Pandavas and Draupadi would have eaten, and there would be no food left in the hut.
Maharishi Durvasa and his followers were at the cottage of the Pandavas in no time. There, Yudhishthira received him very respectfully. Maharishi Durvasa told Yudhishthira what he and Duryodhana had talked about.
And said that after I take bath the disciple and I will eat together. Having said this, all the sages went to the river to bathe. Dharmaraj Yudhishthira immediately went to Draupadi and told her everything.
Draupadi said, “There is nothing left to eat.” When Draupadi thought about this, her heart started to panic. If the sages did not get food. Hence, he would have to become a vessel of wrath and curse of Maharishi Durvasa.
In difficult times, Draupadi used to think of her friend Sakha Krishna. Leeladhar Krishna went to Draupadi’s house at the same time. When he saw him, Draupadi ran to him, greeted him and started telling his problem, then Krishna told Draupadi to forget the problem for some time, and first bring me some food. I am very hungry. Then Draupadi brought Akshayapatra and gave it to Krishna.
Draupadi also told your problem. Maharishi Durvasa and his followers will soon come to have food. But there is not even a piece of food left in the house. Krishna smiled after listening to Draupadi and started looking into the pot. There was only one grain of rice left in that bowl.
Lord Krishna asked, “Is there still a lot of food in it? And ate the last grain of rice.” Here Shri Krishna keeps on eating that one grain of rice. On the other hand, Maharishi Durvasa and his followers came out of the river after taking a bath and started belching because of being full.
And instead of going to Yudhishthira’s cottage, he set out on his journey. By giving just one grain of rice to the sages, Lord Krishna saved the Pandavas from their wrath and curse.
कृष्ण का वास्तविक नाम क्या था?
कृष्ण और कृष्ण को वासुदेव-कृष्ण, मुरलीधर, या चक्रधर भी कहा जाता है।
क्या श्रीकृष्ण भगवान हैं?
कृष्ण, सभी भारतीय देवताओं में सबसे व्यापक रूप से सम्मानित और सबसे लोकप्रिय, हिंदू भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में और अपने आप में एक सर्वोच्च देवता के रूप में भी पूजे जाते हैं।
क्या भगवान कृष्ण वास्तव में मौजूद हैं?
अब यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं कि कृष्ण वास्तव में एक ऐतिहासिक देवता थे, जो लगभग 5000 साल पहले रहते थे।
श्री कृष्ण पत्नी कौन हैं?
द्वापर युग (युग) में द्वारका के राजा, हिंदू भगवान कृष्ण की आठ प्रमुख रानी-पत्नियों का समूह अष्टभार्या या अष्ट-भार्य है। भागवत पुराण में पाई जाने वाली सबसे लोकप्रिय सूची में शामिल हैं: रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रविन्दा, नागनजिती, भद्रा और लक्ष्मण।
कृष्ण या शिव कौन बड़ा है?
शिव पुराण भगवान शिव को सबसे महान कहता है। विष्णु पुराण भगवान विष्णु को सबसे महान कहता है। श्रीमद्भगवद् पुराण भगवान कृष्ण को सबसे महान कहता है।
क्या कृष्ण शाकाहारी थे?
हाँ वे शुद्ध शाकाहारी थे
चावल को क्या खास बनाता है?
खाना पकाने के दौरान यह असाधारण रूप से लंबा, पतला और दोगुना आकार का होता है। यह एक स्वादिष्ट, नरम, भुलक्कड़ बनावट भी लेता है और अधिक स्पष्ट सुगंध और स्वाद विकसित करता है। अन्य सुगंधित, लंबे चावल की किस्मों में, बासमती चावल विशिष्ट है।
मानव जीवन के लिए चावल इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
दुनिया की आधी से अधिक आबादी के लिए, यह उनकी ऊर्जा के मुख्य स्रोत के रूप में कार्य करता है क्योंकि यह एक जटिल कार्ब है। चावल में फाइबर, प्रोटीन, बी विटामिन, आयरन और मैंगनीज की मात्रा किस्म के आधार पर भिन्न होती है। यह इंगित करता है कि यह कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण हो सकता है।